रागिनी विश्वकर्मा भोजपुरी गायिका की जीवनी: संघर्ष से स्टारडम तक का सफर
रागिनी विश्वकर्मा उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की वो भोजपुरी गायिका हैं, जो सड़कों पर ढोलक-हारमोनियम बजाकर गाने गाने से रातोंरात यो यो हनी सिंह के सुपरहिट गाने 'मैनिएक' में 'दिदिया के देवरा...' वाली आवाज बन गईं। उनका जन्म करीब 1998 में गोरखपुर के चौरी-चौरा तरकुलवा इलाके में एक गरीब संगीतप्रिय परिवार में हुआ, जहां सटीक जन्मतिथि सार्वजनिक नहीं है लेकिन उम्र 27 साल बताई जाती है।
जन्म स्थान: तरकुलवा, गोरखपुर
रागिनी विश्वकर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से, जिसे पूर्वांचल कहा जाता है, के गोरखपुर जिले में हुआ । भौगोलिक और प्रशासनिक रूप से, उनका संबंध गोरखपुर के चौरी-चौरा तहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले तरकुलवा (Tarkulwa) से है ।
गोरखपुर का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रागिनी के व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह क्षेत्र नाथ संप्रदाय के प्रभाव, कबीर की निर्वाण स्थली (मगहर) और बुद्ध के परिनिर्वाण (कुशीनगर) के समीप होने के कारण एक आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा हुआ है। लेकिन साथ ही, यह क्षेत्र आर्थिक पिछड़ेपन, बाढ़ और इंसेफेलाइटिस जैसी चुनौतियों से भी जूझता रहा है। इसी द्वंद्व आध्यात्मिक समृद्धि और भौतिक गरीबी के बीच रागिनी का बचपन आकार लेता है।
तरकुलवा क्षेत्र विशेष रूप से तरकुलहा देवी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक रूप से 1857 की क्रांति के नायक बंधू सिंह से भी जुड़ा है। रागिनी के जीवन में इस मंदिर का गहरा प्रभाव रहा है, क्योंकि उनके गायन का प्रारंभिक प्रशिक्षण और प्रदर्शन इसी मंदिर परिसर और इसके आसपास लगने वाले मेलों में हुआ ।
सामाजिक परिवेश और जातिगत पहचान
रागिनी 'विश्वकर्मा' समुदाय से आती हैं। हिंदू सामाजिक व्यवस्था में, विश्वकर्मा समुदाय को शिल्पकार, लोहार, बढ़ई और निर्माता माना जाता है। वे भगवान विश्वकर्मा, जो देवताओं के वास्तुकार थे, के वंशज माने जाते हैं। पारंपरिक रूप से यह समुदाय अपनी मेहनत और कौशल के लिए जाना जाता है।
रागिनी के परिवार ने लोहे या लकड़ी को आकार देने के बजाय 'सुरों' को आकार देने का काम चुना। यह एक महत्वपूर्ण विचलन था। ग्रामीण भारत में, जाति अक्सर पेशे को निर्धारित करती है। एक शिल्पकार परिवार का संगीत को आजीविका बनाना, वह भी बिना किसी शास्त्रीय घराने के संरक्षण के, अपने आप में एक साहसिक कदम था। यह दर्शाता है कि कला किसी जाति की जागीर नहीं होती।
माता-पिता और परिवार का ढांचा
परिवार में उनकी माता, जो गृहणी हैं लेकिन संगीत की समझ रखती हैं, और कई भाई-बहन शामिल हैं।
बहनें: रागिनी की बहनों में राधा विश्वकर्मा और रोशनी विश्वकर्मा का नाम प्रमुखता से आता है । राधा भी अक्सर रागिनी के वीडियो में नजर आती हैं और गायन में रुचि रखती हैं।
चचेरी बहन: एक साक्षात्कार में उनकी चचेरी बहन (चाचा की बेटी) सुनैना का उल्लेख मिलता है, जो स्वयं भी इसी तरह गाकर जीवन यापन करती हैं ।
यह पूरा कुनबा संगीत के माध्यम से ही जुड़ा हुआ है। यह एक ऐसा परिवार है जहाँ सुबह की शुरुआत रियाज से नहीं, बल्कि इस चिंता से होती थी कि आज किस मेले में जाना है या किस सड़क पर बैठकर गाना है ताकि शाम के भोजन का प्रबंध हो सके।
बचपन: खेलकूद की उम्र में जिम्मेदारियों का बोझ
रागिनी का बचपन सामान्य नहीं था। जहाँ अन्य बच्चे स्कूल बस्ता लेकर जाते थे, रागिनी अपने पिता के साथ हारमोनियम और ढोलक लेकर निकलती थीं। उनका 'प्ले स्कूल' गोरखपुर की सड़कें और रेलवे स्टेशन थे।
उन्होंने बहुत कम उम्र में ही समझ लिया था कि उनकी आवाज़ केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि 'सर्वाइवल' (Survival) का साधन है। इस बोध ने उन्हें समय से पहले परिपक्व बना दिया। साक्षात्कारों में वे बताती हैं कि कैसे वे लोग मेलों में, मंदिरों के बाहर और कभी-कभी ट्रेनों में भी गाते थे। समाज का एक बड़ा वर्ग इसे 'भीख मांगना' समझता था, लेकिन रागिनी के लिए यह उनकी कला का प्रदर्शन और मेहनत की कमाई थी । यह स्वाभिमान ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी थी।
औपचारिक शिक्षा का अभाव
गरीबी और काम के दबाव के कारण वे नियमित स्कूल नहीं जा सकीं। रागिनी ने स्वयं कई बार स्वीकार किया है कि वे "पढ़ी-लिखी नहीं हैं" । जिस उम्र में बच्चों को अक्षरों का ज्ञान दिया जाता है, रागिनी को सुरों और ताल का ज्ञान मिल रहा था। हालाँकि, उन्होंने जीवन की पाठशाला में बहुत कुछ सीखा। उन्होंने लोगों के व्यवहार को पढ़ना, भीड़ को नियंत्रित करना, और भावनाओं को शब्दों में पिरोना सीखा। यह सिख उनके करियर में किताबी ज्ञान से अधिक उपयोगी साबित हुई।
करियर की शुरुआत और संघर्ष
करियर सड़क से शुरू हुआ, 2018 में यूट्यूब पर 'पंखा कूलर से न गर्मी बुझाला' जैसे गाने अपलोड किए जो 95 लाख+ व्यूज लाए। अनुराग एंटरटेनमेंट चैनल ने सपोर्ट किया, लेकिन बड़े मौके के लिए हनी सिंह की टीम से विनोद वर्मा का कॉल आया। पहला बड़ा ब्रेक 2025 में 'मैनिएक' गाना, जहां 'दिदिया के देवरा लगवले बाटे नजरि' ने 26 मिलियन+ व्यूज दिलाए।
भोजपुरी करियर की यात्रा
अभी भोजपुरी सिनेमा में बड़े अभिनेता जैसे खेसारी लाल यादव से गाने साइन करने के ऑफर आ रहे हैं। प्रमुख गाने: 'पंखा कूलर से न गर्मी बुझाला', 'मैनिएक' का भोजपुरी पार्ट, और 'चिल्गम खियाके लेत रहे चुम्मा'। टर्निंग पॉइंट हनी सिंह के साथ डूएड रहा।
निजी जीवन
रागिनी अविवाहित हैं, कोई प्रेम प्रसंग या शादी की जानकारी नहीं। रोचक किस्सा: हनी सिंह के गाने के लिए कॉल आने पर उन्हें बॉलीवुड प्रोजेक्ट बताया गया, रिलीज पर ही पता चला हनी सिंह संग है। फिजिकल: ऊंचाई 5 फीट 2 इंच (157 सेमी), वजन 50 किलो, काली आंखें-बाल।
विवाद और चुनौतियां
'मैनिएक' पर अश्लीलता का विवाद, क्रेडिट न मिलने पर बवाल लेकिन बाद में नाम जोड़ा। सड़क सिंगर से स्टार बनने पर जलन झेली।
सोशल मीडिया और सामाजिक कार्य
इंस्टाग्राम @raginivishwakarma583 पर 5 लाख+ फॉलोअर्स (2025 तक 444K+), यूट्यूब चैनल पर लाखों सब्सक्राइबर्स। गरीब लड़कियों को गाना सिखाती हैं, कमाई परिवार पर खर्च करती हैं।
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