कल्पना पटवारी: भोजपुरी संगीत की मल्लिका की पूरी कहानी
कल्पना पटवारी, जिन्हें "भोजपुरी क्वीन" के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने अपनी मधुर आवाज और अनोखे अंदाज से न सिर्फ भोजपुरी संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया, बल्कि भारतीय लोक संगीत को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई। उनकी जिंदगी की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है—संघर्ष, प्रतिभा, सफलता और व्यक्तिगत पसंद की एक प्रेरणादायक यात्रा। आइए, उनके जन्म से लेकर आज तक की पूरी कहानी को करीब से जानते हैं, जिसमें उनकी जिंदगी का हर पहलू शामिल होगा।
जन्म और शुरुआती जीवन
कल्पना पटवारी का जन्म 27 अक्टूबर 1978 को असम के बारपेटा जिले के छोटे से कस्बे सोरभोग में हुआ था। उनके पिता बिपिन नाथ पटोवारी एक मशहूर लोक गायक थे, जिनकी संगीतमयी दुनिया ने कल्पना के बचपन को रंगों से भर दिया। घर में संगीत का माहौल ऐसा था कि कल्पना की रगों में भी संगीत बस गया। मात्र 4 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार सार्वजनिक मंच पर अपनी आवाज का जादू बिखेरा। उनके पिता ने उन्हें असम की पारंपरिक संगीत शैलियों—कमरुपिया और गोलपोरिया लोक संगीत—की बारीकियां सिखाईं, जो आगे चलकर उनकी पहचान का हिस्सा बनीं।
कल्पना का बचपन सादगी भरा था, लेकिन संगीत के प्रति उनका जुनून असाधारण था। वह अपने पिता के साथ मंच पर गातीं और लोगों की तालियों से उनका हौसला बढ़ता। यह वो दौर था जब उनके सपनों ने उड़ान भरना शुरू किया।
शिक्षा और संगीत की औपचारिक ट्रेनिंग
कल्पना ने अपनी शुरुआती पढ़ाई असम में पूरी की। वह एक मेधावी छात्रा थीं और उन्होंने गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री हासिल की। लेकिन उनका असली प्यार संगीत था। संगीत को गहराई से सीखने की चाह ने उन्हें लखनऊ के भातखंडे संगीत संस्थान विश्वविद्यालय तक पहुंचाया। यहां उन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में संगीत विशारद की उपाधि प्राप्त की। इस दौरान उनके गुरु दीपेन रॉय और शिखा दत्ता ने उनकी प्रतिभा को निखारा। यह ट्रेनिंग उनके करियर की मजबूत नींव बनी।
संगीत करियर की शुरुआत
साल 2001 में कल्पना अपने सपनों को सच करने के लिए मुंबई पहुंचीं। यहां से उनका असली सफर शुरू हुआ। उन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा का परिचय देते हुए 32 से ज्यादा भाषाओं में गाने गाए, जिनमें भोजपुरी, असमिया, हिंदी, मराठी, बंगाली और अंग्रेजी शामिल हैं। लेकिन उनकी जिंदगी में असली मोड़ आया साल 2003 में, जब उनकी पहली भोजपुरी एल्बम "गवनवा लेजा राजाजी" रिलीज हुई। इसी साल उनका गाना "ऐ गणेश के पापा" आया, जो रातों-रात हिट हो गया। इस गाने ने उन्हें भोजपुरी संगीत की दुनिया में एक नई पहचान दी।
भोजपुरी संगीत में क्रांति
कल्पना ने भोजपुरी संगीत को न सिर्फ लोकप्रिय बनाया, बल्कि उसे एक नया आयाम भी दिया। वह पहली महिला गायिका बनीं, जिन्होंने छपराहिया पूर्वी शैली में गाया—एक ऐसी शैली जो पहले केवल पुरुष गायकों तक सीमित थी। इसके अलावा, उन्होंने खड़ी बिरहा परंपरा को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पेश किया। भोजपुरी के महान लोक कलाकार भिखारी ठाकुर के कार्यों को भी उन्होंने अपनी आवाज दी और उनके जीवन पर आधारित एक एल्बम रिलीज की।
कल्पना का योगदान सिर्फ गायन तक नहीं रहा। उन्होंने भोजपुरी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम किया। साल 2016 में उन्हें ब्रिटिश रिकॉर्डिंग कंपनी वर्जिन ईएमआई रिकॉर्ड्स ने साइन किया—यह सम्मान किसी भारतीय लोक गायिका के लिए बेहद दुर्लभ था।
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फिल्मों में कदम
संगीत के साथ-साथ कल्पना ने अभिनय की दुनिया में भी हाथ आजमाया। साल 2006 में उन्होंने भोजपुरी फिल्म "चलत मुसाफिर मोह लियो रे" में जानकी की भूमिका निभाई। इस फिल्म में उनके को-स्टार थे दिनेश लाल यादव "निरहुआ"। इसके बाद 2013 में वह डॉक्यूमेंट्री फिल्म "बिदेसिया इन बम्बई" में नजर आईं, जो मुंबई में प्रवासी मजदूरों की जिंदगी पर आधारित थी।
बॉलीवुड में भी उनकी आवाज गूंजी। उन्होंने कई फिल्मों में playback singing की, जैसे:
"फूल एंड फाइनल" (2007)
"बिल्लू" (2009)
"खट्टा मीठा" (2010)
"बेगम जान" (2017)
टीवी और रियलिटी शो
कल्पना की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वह टीवी पर भी छाई रहीं। साल 2008 में उन्होंने एनडीटीवी इमेजिन के रियलिटी शो "जुनून - कुछ कर दिखाने का" में हिस्सा लिया। इस शो ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई।
व्यक्तिगत जीवन
कल्पना का निजी जीवन भी उनकी प्रोफेशनल जिंदगी जितना ही रोचक रहा। साल 2001 में उन्होंने अपने स्कूल के दोस्त परवेज खान से शादी की और मुंबई में बस गईं। शादी के बाद उन्होंने इस्लाम धर्म अपनाया, जिस पर कई बार सवाल उठे। लेकिन कल्पना ने इसे अपनी निजी पसंद बताते हुए हर आलोचना का जवाब दिया। उनके पति परवेज अब उनके मैनेजर के तौर पर काम करते हैं और उनके करियर में उनका बड़ा सहयोग रहा है।
राजनीति में एंट्री
संगीत और अभिनय के बाद कल्पना ने राजनीति में भी कदम रखा। साल 2018 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जॉइन की। यह मौका पटना में हुआ, जहां बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी मौजूद थे। लेकिन उनका यह सफर ज्यादा लंबा नहीं चला। साल 2020 में वह असम गण परिषद (एजीपी) में शामिल हुईं और 2021 के असम विधानसभा चुनाव में सरुखेरी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा। हालांकि, वह जीत नहीं पाईं, लेकिन उनकी कोशिशों ने लोगों का ध्यान खींचा।
उपलब्धियां और संपत्ति
कल्पना पटवारी ने अपने करियर में 10,000 से ज्यादा गाने रिकॉर्ड किए हैं। उनकी कुल संपत्ति साल 2025 तक 1-5 मिलियन डॉलर (7-35 करोड़ रुपये) के बीच आंकी गई है। वह प्रति प्रदर्शन करीब 2 लाख रुपये चार्ज करती हैं। उनकी आवाज और स्टाइल ने उन्हें न सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी मशहूर बनाया।
एक प्रेरणादायक शख्सियत
कल्पना पटवारी की जिंदगी एक मिसाल है—कैसे एक छोटे से कस्बे की लड़की ने अपनी मेहनत और लगन से पूरी दुनिया में नाम कमाया। उन्होंने भोजपुरी संगीत को नई पहचान दी, पारंपरिक लोक शैलियों को जिंदा रखा और अपनी शर्तों पर जिंदगी जी। उनकी कहानी हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को सच करना चाहता है।
आज भी कल्पना संगीत की दुनिया में सक्रिय हैं। उनकी आवाज में वही जादू है, जो लोगों को झूमने पर मजबूर कर देता है। वह न सिर्फ एक गायिका हैं, बल्कि एक संस्कृति की धरोहर हैं, जिसे उन्होंने अपने गानों के जरिए जिंदा रखा। उनकी ये यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है—हर नया गाना, हर नया मंच उनकी कहानी में एक नया अध्याय जोड़ता है।
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