खेसारी लाल यादव: भोजपुरी सिनेमा के चमकते सितारे का सफर
खेसारी लाल यादव भोजपुरी सिनेमा और संगीत जगत के एक ऐसे सितारे हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा के दम पर एक साधारण गाँव से निकलकर देश-विदेश में अपनी पहचान बनाई। उनका असली नाम शत्रुघ्न कुमार यादव है, और वे एक अभिनेता, गायक, नर्तक और मॉडल के रूप में जाने जाते हैं। 15 मार्च 1986 को जन्मे खेसारी आज भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े सुपरस्टार्स में से एक हैं। उनके जन्म से लेकर वर्तमान तक के सफर को करीब से देखेंगे। उनका बचपन, परिवार, शिक्षा, करियर की शुरुआत, सफलता, फिल्में, गाने, पुरस्कार, व्यक्तिगत जीवन, विवाद और हाल की गतिविधियाँ—सब कुछ इस लेख में शामिल होगा। तो आइए, शुरू करते हैं खेसारी लाल यादव की इस प्रेरणादायक कहानी को।
जन्म और प्रारंभिक जीवन
खेसारी लाल यादव का जन्म 15 मार्च 1986 को बिहार के सारण जिले के धनाडीह गाँव में हुआ था। उनका जन्म एक बेहद साधारण और आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में हुआ। उनके पिता, मंगरू लाल यादव, सुबह सड़क किनारे चना बेचते थे और रात में चौकीदार की नौकरी करते थे ताकि परिवार का गुजारा हो सके। खेसारी की माँ का नाम स्पष्ट रूप से उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह प्रसिद्ध है कि वे एक मजबूत और मेहनती महिला थीं, जिन्होंने अपने बच्चों के साथ-साथ अपने चचेरे भाई-बहनों को भी पाला। खेसारी के सात भाई-बहन हैं, जिनमें से तीन उनके सगे भाई-बहन हैं, और चार उनके चाचा के बच्चे हैं, जिनकी माँ का देहांत कम उम्र में हो गया था। खेसारी की माँ ने इन चारों बच्चों को भी अपने बच्चों की तरह पाला-पोसा।
खेसारी का बचपन आर्थिक तंगी और संघर्षों के बीच बीता। उनका परिवार शुरू में छपरा में रहा, लेकिन बाद में उनके माता-पिता रोजगार की तलाश में दिल्ली चले गए। इसके बाद खेसारी अपने भाई-बहनों और चचेरे भाई-बहनों के साथ गाँव में ही रहने लगे। बचपन में उन्हें "खेसारी" नाम इसलिए मिला क्योंकि वह बहुत बोलते थे। यह नाम एक फसल "खेसारी दाल" से प्रेरित है, जो बिना ज्यादा देखभाल के भी अच्छी तरह उग जाती है—शायद यह उनके जीवन की कठिनाइयों को सहने की क्षमता का भी प्रतीक था।
बचपन में खेसारी ने मवेशियों को चराने, उनका दूध निकालने और उसे बेचने जैसे छोटे-मोटे काम किए। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के एक स्कूल में हुई, जहाँ उन्होंने दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की। लेकिन परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के कारण आगे की पढ़ाई संभव नहीं हो सकी। पढ़ाई छोड़ने के बाद वे अपने परिवार की मदद के लिए छोटे-छोटे कामों में जुट गए।
करियर की शुरुआत: संघर्ष और मेहनत का दौर
खेसारी लाल यादव का मन हमेशा से कला और संगीत की ओर आकर्षित था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1998-99 में भोजपुरी थिएटर से की। उस समय वे रामायण, महाभारत और अन्य पारंपरिक नाटकों में गायन और अभिनय करते थे। इसके साथ ही, उन्होंने भोजपुरी लोक नृत्य "लौंडा नाच" में भी हिस्सा लिया, जो बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में काफी लोकप्रिय है। इस दौरान उनकी प्रतिभा को स्थानीय स्तर पर पहचान मिलने लगी।
2000 के दशक के अंत में खेसारी ने संगीत को अपना मुख्य करियर बनाने का फैसला किया। उनकी पहली बड़ी सफलता भोजपुरी एल्बम "माल भेटाई मेला" से मिली। इस एल्बम ने उन्हें भोजपुरी दर्शकों के बीच लोकप्रिय बना दिया। इसके बाद उन्होंने कई हिट गाने गाए, जिनमें "सईयां अरब गईले ना", "पियावा गए रे हमार सऊदी रे भौजी", "लेहंगा में मीटर", और "प्यार मांगे लुंगी बिछाके" जैसे गाने शामिल हैं। इन गानों ने उन्हें भोजपुरी संगीत जगत में एक मजबूत पहचान दिलाई।
लेकिन यह सफर आसान नहीं था। करियर की शुरुआत में खेसारी को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें दिल्ली में लिट्टी-चोखा बेचने का काम करना पड़ा। एक बार तो उन्होंने अपने पिता से 10 रुपये चुरा लिए थे, जिसके चलते उन्हें घर से निकाल दिया गया। इस घटना ने उन्हें गहरा आघात पहुँचाया, लेकिन साथ ही आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा भी दी। उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपनों को सच करने के लिए दिन-रात मेहनत की।
फिल्मी करियर: भोजपुरी सिनेमा का सुपरस्टार
खेसारी लाल यादव ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 2011 में भोजपुरी फिल्म "साजन चले ससुराल" से की। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई और खेसारी को भोजपुरी सिनेमा में एक नई पहचान मिली। इस फिल्म में उनके अभिनय और गायन दोनों की तारीफ हुई। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक हिट फिल्में दीं।
उनकी कुछ प्रमुख फिल्में हैं:
- जान तेरे नाम (2012) - उनकी शुरुआती सफल फिल्मों में से एक।
- देवरा पर मनवा (2012) - इस फिल्म ने उनकी लोकप्रियता को और बढ़ाया।
- सपूत (2013) - एक पारिवारिक ड्रामा फिल्म।
- शोला शबनम (2014) - रोमांटिक फिल्म जो दर्शकों को पसंद आई।
- मेहंदी लगा के रखना (2017) - यह फिल्म उनके करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक है।
- संघर्ष (2018) - सामाजिक मुद्दों पर आधारित यह फिल्म दर्शकों और समीक्षकों दोनों को पसंद आई।
- बलम जी लव यू (2018) - रोमांटिक और कॉमेडी से भरपूर फिल्म।
- डबंग सरकार (2018) - एक्शन से भरपूर फिल्म।
- कुली नंबर 1 (2019) - कॉमेडी फिल्म।
- बागी- एक योद्धा (2019) - एक्शन ड्रामा।
फिल्म "संघर्ष" (2018) खास तौर पर उल्लेखनीय है, क्योंकि यह "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" जैसे सामाजिक संदेशों पर आधारित थी। इस फिल्म ने न केवल दर्शकों का मनोरंजन किया, बल्कि उन्हें जागरूक करने का काम भी किया। 2018 में ही उनकी फिल्म "नागदेव" रिलीज हुई, जो भोजपुरी सिनेमा की पहली ऐसी फिल्म थी जिसमें VFX (विजुअल इफेक्ट्स) का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था।
खेसारी ने अब तक 70 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है। उनकी फिल्में ज्यादातर पारिवारिक, रोमांटिक, एक्शन और सामाजिक संदेशों पर आधारित होती हैं, जो भोजपुरी दर्शकों के बीच खूब पसंद की जाती हैं। 2014 में, उन्होंने बॉलीवुड फिल्म "कोयलांचल" में "AK-47" गाना गाया, जिसके साथ उन्होंने हिंदी सिनेमा में भी कदम रखा।
संगीत करियर: बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन
खेसारी लाल यादव केवल अभिनेता ही नहीं, बल्कि एक बेहतरीन गायक भी हैं। उन्होंने भोजपुरी संगीत को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। उनके गाने न केवल भोजपुरी में, बल्कि हिंदी, अवधी और हरियाणवी भाषाओं में भी लोकप्रिय हैं। उन्होंने अब तक 5,000 से अधिक गाने गाए हैं, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाते हैं।
उनके कुछ लोकप्रिय गाने हैं:
- "ठीक है" (2018) - यह गाना युवाओं के बीच बेहद हिट रहा।
- "लड़की पटाना" (2020) - उनका पहला हिंदी सिंगल, जिसे सोनी म्यूजिक इंडिया ने रिलीज किया।
- "तेरे मेरे दरमियान" (2021) - एक रोमांटिक गाना।
- "पानी पानी" (2021) - मशहूर रैपर बादशाह के साथ भोजपुरी संस्करण में सहयोग।
- "बारिश" (2022) - यह गाना अर्मेनिया में शूट किया गया था।
- "तबला" (2022) - एक एनर्जेटिक डांस नंबर।
- "नागिन" (2023) - रिलीज के पहले 24 घंटों में 5.5 मिलियन व्यूज।
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उनके गाने "नथुनिया" और "ले ले आई कोका कोला" को YouTube की 2022 की शीर्ष भारतीय गानों की सूची में शामिल किया गया था। खेसारी के गाने अक्सर YouTube पर ट्रेंड करते हैं और लाखों-करोड़ों व्यूज बटोरते हैं। उनकी आवाज में एक खास जादू है, जो दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर देता है।
पुरस्कार और सम्मान
खेसारी लाल यादव को उनके शानदार अभिनय और गायन के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया है। यहाँ उनके कुछ प्रमुख पुरस्कारों की सूची दी गई है:
- 2016: भोजपुरी फिल्म अवॉर्ड्स में "बेस्ट पॉपुलर एक्टर" का पुरस्कार।
- 2018: फिल्म "मेहंदी लगा के रखना" के लिए सबरंग फिल्म अवॉर्ड्स में "बेस्ट एक्टर (मेल)" और "बेस्ट प्लेबैक सिंगर (मेल)"।
- 2019: फिल्म "संघर्ष" के लिए चार पुरस्कार, जिसमें अभिनय और सामाजिक योगदान के लिए सम्मान शामिल हैं।
- 2017: यूपी रत्न अवॉर्ड से सम्मानित।
- दादा साहेब फाल्के एकेडमी अवॉर्ड: उनके समग्र योगदान के लिए।
ये पुरस्कार उनकी प्रतिभा और मेहनत का प्रमाण हैं। वे भोजपुरी सिनेमा के सबसे सम्मानित कलाकारों में से एक हैं।
व्यक्तिगत जीवन
खेसारी लाल यादव की शादी 2006 में चंदा देवी से हुई थी। वे अपनी पत्नी को अपनी सफलता का सबसे बड़ा आधार मानते हैं और उनके प्रति गहरी श्रद्धा रखते हैं। उनके दो बच्चे हैं—एक बेटा, युगराज यादव, और एक बेटी, कृति यादव। खेसारी अपने परिवार के साथ मुंबई में रहते हैं, जहाँ वे अपने व्यस्त करियर के बीच भी परिवार को समय देने की कोशिश करते हैं।
उनके शौक में नृत्य करना शामिल है। वे अक्सर अपने गानों में डांस करते नजर आते हैं और उनकी नृत्य शैली दर्शकों को खूब पसंद आती है। करियर की शुरुआत में वे बिहार में शादी समारोहों में गायक और नर्तक के रूप में प्रदर्शन करते थे। खेसारी अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं और अपने गाँव वालों और बिहार के लोगों के लिए हमेशा कुछ करना चाहते हैं।
विवाद और चुनौतियाँ
खेसारी लाल यादव का करियर विवादों से अछूता नहीं रहा। 2025 में दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें सितंबर 2025 तक ग्लोबल म्यूजिक जंक्शन के अलावा किसी अन्य कंपनी के साथ काम करने से रोक दिया। यह फैसला एक कॉन्ट्रैक्ट विवाद के कारण लिया गया था। इसके अलावा, उनके कुछ गानों पर अश्लीलता के आरोप भी लगे हैं, जिसके चलते उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा। खास तौर पर उनके बोल्ड और डबल मीनिंग वाले गानों को लेकर कुछ संगठनों ने आपत्ति जताई।
हालांकि, खेसारी ने इन विवादों को अपने करियर पर हावी नहीं होने दिया। वे हमेशा अपने काम पर फोकस करते रहे और दर्शकों का प्यार जीतते रहे।
हाल की गतिविधियाँ और भविष्य की योजनाएँ
2019 में खेसारी लाल यादव ने रियलिटी शो "बिग बॉस 13" में वाइल्ड कार्ड एंट्री के रूप में हिस्सा लिया। इस शो ने उनकी लोकप्रियता को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाया। हालाँकि वे ज्यादा समय तक शो में नहीं टिक सके, लेकिन दर्शकों ने उनकी सादगी और मेहनत को खूब सराहा।
2020 में, उन्होंने अपना पहला हिंदी सिंगल "लड़की पटाना" रिलीज किया, जिसे सोनी म्यूजिक इंडिया ने प्रोड्यूस किया। 2021 में, गाना "तेरे मेरे दरमियान" रिलीज हुआ। 2022 में, उनकी फिल्म "आशिकी" आई, जिसमें उन्होंने पहली बार पटकथा लेखक के रूप में भी योगदान दिया। उसी साल उनके दो गाने YouTube की शीर्ष भारतीय गानों की सूची में शामिल हुए। 2023 में, उनका गाना "नागिन" रिलीज हुआ, जिसे पहले 24 घंटों में 5.5 मिलियन व्यूज मिले।
खेसारी सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं। वे अपने एनजीओ "खेसारी फाउंडेशन" के जरिए अनाथ बच्चों की शिक्षा और बाढ़ पीड़ितों की मदद करते हैं। वे अक्सर बिहार में प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत कार्यों में हिस्सा लेते हैं।
निष्कर्ष
खेसारी लाल यादव का जीवन एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी है, जो यह साबित करती है कि मेहनत और लगन से कोई भी अपने सपनों को हकीकत में बदल सकता है। एक गरीब परिवार से निकलकर भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार बनने तक का उनका सफर आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हर चुनौती को पार किया। आज वे न केवल एक अभिनेता और गायक हैं, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, जो अपने काम से समाज में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं।
उनका जीवन हमें सिखाता है कि कठिनाइयाँ कितनी भी बड़ी क्यों न हों, अगर इंसान अपने लक्ष्य पर ध्यान रखे और मेहनत करे, तो सफलता जरूर मिलती है। खेसारी लाल यादव आज भोजपुरी सिनेमा के एक चमकते सितारे हैं, और उनका यह सफर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।
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