
Makaan Movie Review 2025: New Bhojpuri Movie by Chandni Singh and Sanjay Pandey | Social Film based on PM Awas Yojana
'मकान' - भोजपुरी सिनेमा का एक संवेदनशील और PM आवास योजना पर बनी फिल्म.
भोजपुरी सिनेमा जगत में एक नई और संवेदनशील कहानी लेकर आया है 'मकान' नामक फिल्म, जिसका ट्रेलर 22 अगस्त 2025 को प्यारो एंटरटेनमेंट चैनल पर रिलीज़ किया गया है। यह फिल्म आवास योजना और भ्रष्टाचार जैसे ज्वलंत मुद्दों को उजागर करने का साहसिक प्रयास करती है।
फिल्म की मुख्य कहानी
'मकान' एक ऐसे परिवार की दिल को छू जाने वाली कहानी है जो अपना पक्का घर बनवाने के सपने में संघर्षरत है। ट्रेलर के अनुसार, फिल्म की कहानी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के इर्द-गिर्द घूमती है।
मुख्य संघर्ष तब शुरू होता है जब गांव के लोगों को बारिश की तबाही के बाद पक्के घर की सख्त जरूरत होती है। ट्रेलर में एक संवेदनशील डायलॉग है: "मालिक मालिक गांव में बारिश बड़ी तबाही हो गई मालिक... तोहरे लापरवाही की वजह से गिरजा के जान चल गइल, तू लोगन के जल्द से जल्द पक्का घर बनवा के दा"।
शक्तिशाली डायलॉग्स और भावनात्मक दृश्य
फिल्म में कई दमदार डायलॉग हैं जो सामाजिक न्याय की मांग करते हैं। एक प्रभावी संवाद है: "आवास योजना का सारा पैसा आप लोग दे नहीं रहे हैं ऊपर से पटवारी को भेजकर जबरदस्ती अंगूठा लगवा रहे हैं"।
एक अन्य जोशीला डायलॉग है: "हम आप सब लोग के घर दिलवा के रहो चाहे हमरा के कुछ भी करे के पड़े", जो नायक के दृढ़ संकल्प और जनसेवा की भावना को दर्शाता है।
स्टारकास्ट और निर्देशन
मुख्य कलाकार
फिल्म में मुख्य भूमिका में हैं:
चांदनी सिंह - भोजपुरी सिनेमा की प्रतिभाशाली अभिनेत्री संजय पांडेय - भोजपुरी सिनेमा के अनुभवी अभिनेता जो मुख्यतः खलनायक की भूमिकाओं के लिए प्रसिद्ध हैं
निर्माण टीम
निर्देशक: अभिषेक दुबे (यह उनकी पहली निर्देशकीय फिल्म है)
निर्माता: धीरू यादव और केशव महेश्वरी
को-निर्माता: केशव महेश्वरी
लेखक: धर्मेंद्र सिंह (जिन्होंने पहले 'कटान' और 'जया' जैसी सराहनीय फिल्में लिखी हैं)
संगीत निर्देशक: रतनेश सिंह और शिवम सिंह यादव
फिल्म का सामाजिक संदेश
'मकान' केवल मनोरंजन की फिल्म नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक आईना है जो आवास योजना में भ्रष्टाचार, गरीबों के शोषण, और नौकरशाही की लापरवाही जैसे मुद्दों को उजागर करती है।
फिल्म का मुख्य संदेश यह है कि सरकारी योजनाओं का लाभ सही हकदारों तक पहुंचना चाहिए और भ्रष्ट अधिकारियों के कारण गरीबों को अपने बुनियादी अधिकारों से वंचित नहीं रहना चाहिए।
भोजपुरी सिनेमा में बदलाव का प्रतीक
'मकान' उस नई लहर का हिस्सा है जो भोजपुरी सिनेमा को सामाजिक मुद्दों की तरफ ले जा रही है। 'संघर्ष', 'माई', और 'जया' जैसी फिल्मों की तरह, यह भी अश्लीलता के दाग को मिटाकर साफ-सुथरा और संदेशपरक सिनेमा बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
'मकान' भोजपुरी सिनेमा की एक महत्वाकांक्षी फिल्म है जो मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक चेतना भी जगाने का काम करती है। चांदनी सिंह और संजय पांडेय जैसे अनुभवी कलाकारों की उपस्थिति, अभिषेक दुबे का नवाचार भरा निर्देशन, और धर्मेंद्र सिंह की संवेदनशील लेखनी इस फिल्म को एक जरूरी और प्रासंगिक सिनेमा बनाती है।
यह फिल्म सिर्फ तीन मिनट के ट्रेलर से ही यह स्पष्ट कर देती है कि भोजपुरी सिनेमा कितनी गंभीरता से सामाजिक मुद्दों को उठा सकता है। 'मकान' निश्चित रूप से उन दर्शकों के लिए एक जरूरी फिल्म होगी जो सार्थक सिनेमा की तलाश में हैं।
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