बहू भी किसी की बेटी है: भोजपुरी सिनेमा की एक भावुक पारिवारिक यात्रा
भोजपुरी सिनेमा के शौकीनों के लिए आज एक स्पेशल सरप्राइज है। नई भोजपुरी फिल्म बहू भी किसी की बेटी है AS Films के यूट्यूब चैनल पर रिलीज हो चुकी है। अगर आप फैमिली ड्रामा, इमोशनल ट्विस्ट्स और सोशल मैसेज वाली मूवीज के फैन हैं, तो ये फिल्म आपके दिल को छू लेगी। डायरेक्टर प्रोड्यूसर अजय एस झा की ये क्रिएशन स्टोरी से लेकर स्क्रीनप्ले तक सब कुछ उनके ही दिमाग की उपज है, जबकि शमशेर सेन ने डायलॉग्स में वो पंच डाला है जो गांव की मिट्टी से महकते हैं।
फिल्म की बुनियाद: कहानी और थीम
इस फिल्म की कहानी एक ऐसी बहू के इर्द गिर्द घूमती है, जो नए घर में जाते ही “पराई” बना दी जाती है, लेकिन हर मोड़ पर साबित करती है कि वह भी किसी की बेटी है और इज़्ज़त की हकदार है। घर के रिवाज़, सास बहू के टकराव, समाज की तानेबाज़ी और अपने पति व ससुराल वालों से उम्मीदें यही सब इस फिल्म की रीढ़ बनते हैं।
* शुरुआत में बहू को सिर्फ “ज़िम्मेदारी” समझा जाता है, “अपनापन” नहीं।
* धीरे धीरे वही बहू संकट की घड़ी में पूरे परिवार की ढाल बनकर खड़ी हो जाती है।
* क्लाइमैक्स में जब घर वाले यह महसूस करते हैं कि “बहू भी किसी की बेटी है”, तो फिल्म अपना सबसे मजबूत भावुक पंच देती है।
निर्देशन, लेखन और संपूर्ण क्रिएटिव विज़न
फिल्म के निर्देशक व निर्माता अजय एस. झा ने कहानी, इमोशन और संवादों को पूरी तरह देसी मिट्टी से जोड़ा है, जिससे फिल्म का हर सीन रिलेटेबल लगता है। कहानी भी खुद अजय एस. झा ने लिखी है, जबकि स्क्रीनप्ले और संवाद शमशेर सेन ने तैयार किए हैं, जो कई जगह दिल पर सीधा वार करते हैं।
* कई दृश्यों में सास बहू की बहस सिर्फ झगड़ा नहीं, समाज की सोच का आईना बन जाती है।
* “बहू घर की नोकर नहीं, सदस्य है” जैसे तेवर वाले संवाद फिल्म को दमदार बनाते हैं।
म्यूजिक डायरेक्टर राहुल भारती ने पारिवारिक माहौल के हिसाब से सीधी, भावुक और सुकून भरी धुनें दी हैं, जिन पर अरविंद तिवारी के लिखे बोल और रूपाली गुप्ता की आवाज़ कहानी को और असरदार बना देती है।
स्टार कास्ट: किसने कितना कमाल किया?
फिल्म की स्टार कास्ट में तनुश्री, प्रेम सिंह, जे. नीलम, के.के. गोस्वामी, आंचल तिवारी और नमन पाठक शामिल हैं, जो मिलकर एक पूरा परिवार स्क्रीन पर रचते हैं।
तनुश्री ने बहू के रोल में मासूमियत, मजबूती और बगावत तीनों को बैलेंस करके दिखाया है।
प्रेम सिंह का किरदार पति के रूप में शुरू में उलझा हुआ, लेकिन बाद में सपोर्टिव दिखाई देता है, जो आज के यूथ की सोच का प्रतिनिधि बनता है।
जे. नीलम का सख्त मगर अंदर से भावुक सास वाला किरदार कई बार आपको गुस्सा भी दिलाता है और आख़िर में रुला भी देता है।
के.के. गोस्वामी परिवार के एक अहम सदस्य के तौर पर हल्के फुल्के पल भी देते हैं और भावनात्मक दृश्यों में संतुलन बनाते हैं।
सपोर्टिंग कास्ट में आंचल तिवारी और नमन पाठक जैसे कलाकार कहानी को नैचुरल फ्लो देते हैं, जिससे फिल्म कहीं भी “ओवर” नहीं लगती।
टेक्निकल टीम: कैमरा, एडिटिंग और प्रेज़ेंटेशन
फिल्म के डीओपी इमरान अंसारी ने कैमरे के ज़रिए घर आंगन, चौखट, रसोई, आंसू और मुस्कान सबको करीब से कैद किया है, जिससे दर्शक खुद को उसी घर का हिस्सा महसूस करते हैं। एडिटर धरम सोनी ने फिल्म की गति ऐसी रखी है कि भावुक सीन असर छोड़कर जाते हैं, लेकिन फिल्म बोझिल नहीं लगती।
कुछ सीन में क्लोज अप शॉट्स बहू की चुप पीड़ा और सास की कशमकश को बिना डायलॉग के भी समझा देते हैं।
आर्ट डिपार्टमेंट में इमरान ने सेट डिज़ाइन को बिल्कुल रियलिस्टिक रखा है, जिससे पूरा माहौल रियल फैमिली ड्रामा जैसा लगता है, न कि सिर्फ फिल्मी सेट जैसा।
डिजिटल लेवल पर इस फिल्म को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी डिजिटल हेड विक्की यादव संभाल रहे हैं, जिसकी वजह से फिल्म सीधे दर्शकों तक यूट्यूब के ज़रिए पहुँच रही है।
“Bahu Bhi Kisi Ki Beti Hai” ऑफिशियली A S Films के यूट्यूब चैनल पर रिलीज़ की गई है, जहां दर्शक इसे फ्री में देख सकते हैं। यह उन सभी परिवारों के लिए ज़रूरी फिल्म है, जो ससुराल और मायके के बीच बहू की पहचान पर सच में सोचते हैं या सोचना चाहते हैं।
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