
Barki Sakhi Chhotki Sakhi Movie Review 2025: The complete story of friendship between Yamini Singh and Kajal Yadav and revenge through dowry!
बड़की सखी छोटकी सखी': दोस्ती की ऐसी मिसाल जो दिल को छू लेगी, दहेज के साये में छिपी एक अनोखी बदला की कहानी!
नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग में, जहाँ हम भोजपुरी सिनेमा की उन फिल्मों पर बात करते हैं जो न सिर्फ मनोरंजन देती हैं, बल्कि समाज के आईने की तरह चमकती भी हैं। आज हम बात कर रहे हैं 2025 की सबसे चर्चित भोजपुरी फिल्म 'बड़की सखी छोटकी सखी' की। जी हाँ, वही फिल्म जिसका धमाकेदार ट्रेलर B4U भोजपुरी के यूट्यूब चैनल पर रिलीज होते ही वायरल हो गया – यहाँ देखें। सिर्फ 3 मिनट 44 सेकंड का ये ट्रेलर देखकर ही लगता है कि पूरी फिल्म एक इमोशनल रोलरकोस्टर राइड होगी, जो हँसी, आँसू, गुस्सा और न्याय की पुकार को एक साथ बुन देगी। अगर आपने ट्रेलर देखा है, तो जानते होंगे कि ये फिल्म दोस्ती की वो मिसाल है जो 'दो जिस्म, एक जान' को साकार कर देती है। और अगर नहीं देखा, तो रुकिए मत – पहले ट्रेलर देख लीजिए, फिर ये रिव्यू पढ़िए। क्योंकि इस रिव्यू को पढ़ने के बाद आपको लगेगा जैसे पूरी फिल्म देख ली हो!
एक ऐसी कहानी जो समाज के घावों को छू लेगी
फिल्म की कहानी शुरू होती है एक छोटे से गाँव से, जहाँ दो बचपन की सहेलियाँ – बड़की (यामिनी सिंह) और छोटकी (काजल यादव) – ऐसी दोस्त हैं कि पूरा गाँव उनकी जोड़ी की मिसाल देता है। दोनों साथ खाती हैं, साथ गाती हैं, साथ सपने बुनती हैं। ट्रेलर में दिखाए गए उन हल्के-फुल्के दृश्यों में उनकी मासूमियत ऐसी चमकती है कि दिल गदगद हो जाता है। लेकिन जीवन की कड़वी सच्चाई जल्द ही दस्तक देती है। छोटकी की शादी हो जाती है – धूमधाम से, नाच-गाने के बीच। लेकिन ससुराल पहुँचते ही शुरू हो जाती है दहेज की वो काली साजिश। ससुराल वाले – सास (सोनाली मिश्रा), ससुर (भूपेंद्र सिंह), ननद (रूपा सिंह) और पति (अयाज खान) – लालच में डूबे हुए, छोटकी को तंग करते हैं। बच्चे को जन्म देने के बाद भी यातनाएँ थम नहीं रही। आखिरकार, वो क्रूरता की हद पार हो जाती है – छोटकी को मार दिया जाता है और उसके शव को जला दिया जाता है।
अब आता है कहानी का सबसे पावरफुल ट्विस्ट! बड़की, जो अपनी सहेली का दर्द हर पल महसूस कर रही है, चुप नहीं बैठती। वो बदला लेने का फैसला करती है – लेकिन कैसे? ट्रेलर का ये पंचलाइन वाला मोमेंट है: बड़की छोटकी के पति से शादी कर लेती है! हाँ, बिल्कुल सही सुना आपने। वो ससुराल में घुस जाती है, जैसे एक शेरनी जंगल में लौट आई हो। अब शुरू होता है बदले का सिलसिला – सास-ससुर से लेकर ननद तक, हर उस इंसान से जो छोटकी के दर्द का जिम्मेदार था, बड़की हिसाब चुकता करती है। ट्रेलर में ये दृश्य इतने इंटेंस हैं कि रोंगटे खड़े हो जाते हैं – आग उगलती नजरों से, चालाकी भरी मुस्कान के साथ। फिल्म खत्म होती है न्याय की जीत पर, जहाँ दहेज जैसी बुराई को आईना दिखाया जाता है। ये कहानी न सिर्फ दोस्ती की ताकत दिखाती है, बल्कि बताती है कि एक महिला का संघर्ष कितना मजबूत हो सकता है। समाज में आज भी लड़कियाँ दहेज की भेंट चढ़ रही हैं – ये फिल्म उसी की चीख है, लेकिन उम्मीद की रोशनी के साथ!
हाइलाइट्स जो ट्रेलर में ही धमाल मचा देते हैं – पंच से भरपूर!
ट्रेलर देखकर लगता है कि फिल्म में ढेर सारे ऐसे मोमेंट्स हैं जो आपको थिएटर की सीट से उछाल देंगे। यहाँ हैं कुछ चुनिंदा हाइलाइट्स:
दोस्ती का जादू: शुरुआती सीन में बड़की-छोटकी की केमिस्ट्री – "तू है तो मैं हूँ, तू ना रहे तो मैं ना रहूँ" जैसे डायलॉग्स के साथ। - ये दोस्ती इतनी प्यारी है कि लगेगा आपकी बेस्ट फ्रेंड भी यहीं है!
शादी का धमाका: छोटकी की बारात के दृश्य – भोजपुरी स्टाइल में नाच-गाने, रंग-बिरंगे परिधान। लेकिन ट्रेलर ये भी दिखाता है कि शादी के पीछे छिपा दहेज का काला साया। - खुशी से दुख तक का ये सफर दिल दहला देगा!
प्रताड़ना के आंसू: ससुराल के वो इमोशनल सीन, जहाँ छोटकी रोती है और बड़की बाहर से महसूस करती है। बच्चे के जन्म का दृश्य – ममता से भरा, लेकिन यातनाओं से घिरा। - आँखें नम हो जाएँगी, लेकिन गुस्सा भी चढ़ेगा!
बदले का तूफान: बड़की का ससुराल में एंट्री – चालाकी से शादी, फिर एक-एक करके हिसाब चुकाना। सास-ससुर को आईना दिखाने वाले डायलॉग्स। - "हर दर्द का बदला लूँगी, चाहे खुद जल जाऊँ!" – ये लाइन ट्रेलर का हाइलाइट है, जो फिल्म को एक्शन-ड्रामा का परफेक्ट मिश्रण बनाती है।
संगीत का कमाल: ओम झा का संगीत ट्रेलर में ही कानों में बस जाता है – इमोशनल बैकग्राउंड स्कोर जो दिल को छू ले। गीतकार प्यारे लाल यादव के बोल तो फिल्म में और धूम मचाएँगे!
ट्रेलर देखने के बाद फैंस की प्रतिक्रियाएँ देखिए – "यामिनी का स्वैग लाजवाब!" या "दहेज के खिलाफ ये फिल्म जरूरी है!"। ये साबित करता है कि फिल्म न सिर्फ एंटरटेन करेगी, बल्कि सोचने पर मजबूर भी करेगी।
एक परफेक्ट टीम का कमाल – क्रेडिट्स जो फिल्म को चमकाते हैं
'बड़की सखी छोटकी सखी' की ताकत सिर्फ स्टोरी नहीं, बल्कि उसके पीछे की पूरी टीम है। कांसेप्ट संदीप सिंह का है, जिन्होंने दहेज जैसी संवेदनशील थीम को इतनी खूबसूरती से बुना है कि ये सिर्फ फिल्म नहीं, एक सामाजिक संदेश बन गई। निर्देशक अजीत कुमार शर्मा ने हर सीन को इतनी बारीकी से फिल्माया है कि ट्रेलर ही पूरी फिल्म का एहसास दे देता है। लेखक सत्येंद्र सिंह के डायलॉग्स भोजपुरी की मिट्टी की खुशबू से लबरेज हैं – सीधे दिल तक पहुँचने वाले।
संगीत के जादूगर ओम झा और गीतकार प्यारे लाल यादव ने ट्रेलर में ही साबित कर दिया कि फिल्म के गाने हिट होंगे। संकलन प्रीतम नायक का है, जो कहानी को तेज रखेगा। पोस्ट प्रोडक्शन 3 स्टूडियो ने तो कमाल ही कर दिया – हर फ्रेम क्रिस्प और इमोशनल। छायांकन सावंत प्रजापति का है, जो गाँव की सादगी को बड़े पर्दे पर जीवंत कर देगा। कोरियोग्राफर कानू मुखर्जी और सोनू प्रीतम के डांस स्टेप्स ट्रेलर में ही ठुमके लगवा देते हैं। आर्ट डायरेक्टर बली राम ने सेट्स को इतना रियल बनाया है कि लगेगा आप गाँव में ही हैं।
और निर्माता संदीप सिंह व अविनाश रोहरा – इनकी दूरदृष्टि ने फिल्म को B4U भोजपुरी के साथ म्यूजिक, सैटेलाइट और डिजिटल पार्टनरशिप दी, जो इसे हर स्क्रीन तक पहुँचाएगी। B4U की क्रिएटिव टीम – मारुद शर्मा, नेहा उपाध्याय, विशाल यादव – ने ट्रेलर को इतना आकर्षक बनाया कि व्यूज की बाढ़ आ गई। लीगल टीम संदीप राणा, तृष्णा पटेल, पूनम शिंदे, आकांक्षा वाकोड़े-मोरे ने सब कुछ स्मूथ रखा। यहाँ तक कि ऑफिस बॉय कन्हैया का योगदान भी कम नहीं – छोटी-छोटी चीजें ही बड़ी फिल्में बनाती हैं! IVY एंटरटेनमेंट की फाइनेंस टीम – प्रदीप के दागा, जिनेले मैस्करेन्हास, विपुल जैन, निवृत्ति पाटिल, गणेश महादेव टापरे, हिमांशु चौधरी – और B4U फाइनेंस के संतोष गर्ग, रविंदर साल्वी, साक्षी शैलार ने इस प्रोजेक्ट को मजबूत नींव दी। ये सब मिलकर एक ऐसी मशीनरी हैं जो भोजपुरी सिनेमा को नई ऊँचाइयों पर ले जा रही है।
'बड़की सखी छोटकी साकी' सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक एहसास है – दोस्ती का, न्याय का, और समाज सुधार का। यामिनी सिंह का स्वैग, काजल यादव की भावुकता, अयाज खान का नेगेटिव शेड, सोनाली मिश्रा की सास वाली तीखापन – हर कलाकार ने ट्रेलर में ही जान फूँक दी। विद्या सिंह, गोपाल चौहान, अनूप अरोरा, रूपा सिंह, रिंकू आयुषी जैसे सहकलाकारों ने सपोर्टिंग कास्ट को यादगार बना दिया। अगर आप भोजपुरी के फैन हैं, या सामाजिक मुद्दों पर फिल्में पसंद करते हैं, तो ये मिस न करें। थिएटर में जाइए, परिवार के साथ देखिए, और बाहर आकर सोचिए – दहेज जैसी बुराइयों को खत्म करने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
Written by - Sagar
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