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Kala Sindoor Bhojpuri Movie Review: Ritesh Upadhyay, Mani Bhattacharya's Horror Story

काला सिंदूर: भोजपुरी सिनेमा की एक भयावह यात्रा, जहाँ प्रेम पुनर्जन्म बन जाता है श्राप

फिल्म “काला सिंदूर” का ट्रेलर हाल ही में Bhojpuri Cinema TV Channel के यूट्यूब पेज पर रिलीज़ हुआ है, और पहले ही दर्शकों के बीच रोमांच और कौतूहल का माहौल बना चुका है।

भोजपुरी सिनेमा के नए युग में जहां प्रेम और पारिवारिक ड्रामे का बोलबाला है, वहीं निर्देशक इश्तियाक शेख बंटी लेकर आए हैं एक ऐसी फिल्म जिसने इस धारणा को तोड़ दिया — “काला सिंदूर”।
रामा प्रसाद प्रोडक्शन के बैनर तले बनी यह फिल्म अंधविश्वास, तंत्र-मंत्र और इंसानी भावनाओं के टकराव की एक सिहरनभरी कहानी बुनती है।

फिल्म का परिचय: एक काला साया जो दिल को छू लेता है

फिल्म का नाम: काला सिंदूर – यह शीर्षक ही फिल्म की आत्मा है। यह एक ऐसी कहानी है जो ग्रामीण भारत के तांत्रिक रीति-रिवाजों, प्रेम की बलि और पुनर्जन्म के रहस्यों को बुना हुआ है। बैनर रामा प्रसाद प्रोडक्शन के तहत निर्मित यह फिल्म रामा प्रसाद द्वारा प्रोड्यूस की गई है, जबकि निर्देशन का जिम्मा संभाला है इश्तियाक शेख बंटी ने। लेखन इंद्रजीत कुमार का है, जो कहानी को इतनी बारीकी से बुना है कि हर ट्विस्ट एक झटका देता है। डी.ओ.पी. दिलीप कुमार शर्मा की कमरा वर्क ने भोजपुरी के खेतों, मंदिरों और अंधेरी रातों को जीवंत कर दिया है। संगीत साजन मिश्रा का है, जो एंटर 10 रंगीला पर रिलीज होगा, और गीत प्यारे लाल यादव के हैं – ये गाने न केवल कानों को सुकून देते हैं, बल्कि डर को और गहरा करते हैं। कोरियोग्राफी सोनू प्रीतम की है, संपादन गुरजंट सिंह का, जबकि बैकग्राउंड म्यूजिक राजा यादव ने तैयार किया है। प्रोमो संपादन एम फैज़ल रियाज़ का, डी.आई. विजय सिंह (मुन्ना) का, एसोसिएट डायरेक्टर दिलीप कुमार रावत का, कला निर्देशक अवधेश राय का, मिक्सिंग इंजीनियर कृष्णा विश्वकर्मा का, लाइन प्रोड्यूसर (लखनऊ) नितिन भास्कर का, कार्यकारी निर्माता जे.पी. गुप्ता का, कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर विद्या मौर्य का, वीएफएक्स और शीर्षक चंदन कुमार भारती का, और डाक उत्पादन 3 स्टूडियो का – पूरी टीम ने मिलकर एक ऐसा जादू रचा है जो स्क्रीन पर चमकता है।
स्टार कास्ट की बात करें तो लीड रोल में हैं रितेश उपाध्याय (जो एक साधारण गाँव के युवक के रूप में उभरते हैं) और मणि भट्टाचार्य (जिनकी आँखों में डर और प्रेम का मिश्रण देखकर दिल डूब जाता है)। उनके साथ अमित शुक्ला, ज्योति मिश्रा, कंचन मिश्रा, पुष्पेंद्र राय, सुबोध सेठ, अनु ओझा, भानू पांडे, रूपा सिंह, अंशू तिवारी और काजल निषाद जैसे दिग्गज कलाकार हैं, जो सपोर्टिंग रोल्स में जान फूँक देते हैं। बाल कलाकार चाहत और दिव्या की मासूमियत कहानी को और मार्मिक बनाती है। यह कास्ट न केवल अभिनय की मिसाल है, बल्कि भोजपुरी सिनेमा की विविधता को दर्शाती है।

पूरी कहानी: ट्रेलर से निकली एक भयंकर सच्चाई

ट्रेलर देखते ही पता चल जाता है कि काला सिंदूर कोई साधारण हॉरर नहीं, बल्कि एक गहन ड्रामा है जो काले जादू (तंत्र-मंत्र) और पुनर्जन्म की थीम पर बुनी गई है। कहानी शुरू होती है एक शांतिपूर्ण गाँव से, जहाँ रितेश उपाध्याय का किरदार, रवि, एक मेहनती किसान है। वह अपनी मंगेतर मणि (मणि भट्टाचार्य) से बेइंतहा प्रेम करता है। दोनों की शादी की तैयारियाँ जोरों पर हैं, लेकिन एक पुरानी शत्रुता सब कुछ उलट-पुलट कर देती है। गाँव की एक विधवा तांत्रिक (ज्योति मिश्रा द्वारा निभाया गया रोल), जो रवि के परिवार से बदला लेना चाहती है, एक भयावह अनुष्ठान करती है। वह काला सिंदूर – एक प्राचीन श्राप का प्रतीक – मणि के माथे पर लगाती है, जो मृत्यु के बाद पुनर्जन्म का द्वार खोल देता है।
ट्रेलर में दिखाए गए फ्लैशबैक सीक्वेंस से पता चलता है कि यह श्राप दशकों पुराना है। रवि की दादी (अनु ओझा) ने कभी एक तांत्रिक (भानू पांडे) से बदला लिया था, जिसकी आत्मा अब मणि के शरीर में प्रवेश कर जाती है। मणि की मौत शादी की रात हो जाती है – एक भयानक दृश्य जहाँ काला साया कमरे में घूमता है और खून से सना सिंदूर फर्श पर बिखर जाता है। लेकिन यहीं ट्विस्ट आता है: मणि की आत्मा पुनर्जन्म लेकर लौटती है, लेकिन काले जादू के प्रभाव से वह एक हिंसक भूतनी बन जाती है। अब रवि को न केवल अपनी खोई हुई प्रेयसी को बचाना है, बल्कि पूरे गाँव को इस श्राप से मुक्त करना है। अमित शुक्ला का किरदार, एक आधुनिक डॉक्टर, विज्ञान और अंधविश्वास के बीच की जंग लड़ता है, जबकि पुष्पेंद्र राय का तांत्रिक गुरु रवि को सच्चे मंत्र सिखाता है।
कहानी का क्लाइमेक्स ट्रेलर के अंतिम मिनटों में झलकता है: एक पुराने किले में अंतिम युद्ध, जहाँ रवि काला सिंदूर उतारने के लिए अपनी जान जोखिम में डालता है। बाल कलाकार चाहत और दिव्या, जो रवि की बहनें हैं, की मासूम अपील कहानी को भावुक मोड़ देती है। अंत में, प्रेम की शक्ति काले जादू पर विजयी होती है, लेकिन कीमत भारी पड़ती है – रवि खुद को बलि चढ़ा देता है, ताकि मणि मुक्त हो सके। यह समापन दर्शकों को आंसुओं और राहत के मिश्रण में छोड़ देता है। पूरी कथा २ घंटे की फिल्म में इतनी बारीकी से बुनी गई है कि हर सीन एक सबक सिखाता है: प्रेम अमर है, लेकिन अंधविश्वास घातक।

हाइलाइट्स और पंच डायलॉग्स: जो दिल को छेद देंगे

फिल्म के हाइलाइट्स ट्रेलर में ही चमकते हैं, लेकिन पूरी फिल्म देखने पर इनकी गहराई समझ आती है:

हॉरर सीक्वेंस: काले साये का पीछा करते हुए जंगल का दृश्य, जहाँ वीएफएक्स (चंदन कुमार भारती) ने भूतों को इतना रियलिस्टिक बनाया है कि थिएटर में चीखें गूंजेंगी। डर का स्तर 'स्त्री' फिल्म को टक्कर देता है।
इमोशनल मोमेंट: मणि की मौत के बाद रवि का रोना – रितेश उपाध्याय का अभिनय इतना सच्चा है कि आँखें नम हो जाती हैं।
एक्शन और डांस: कोरियोग्राफी में सोनू प्रीतम ने एक गाने को हॉरर-डांस का मिश्रण दिया है, जहाँ डर और ठुमका साथ नाचते हैं।
संगीत का जादू: साजन मिश्रा का बैकग्राउंड स्कोर रोंगटे खड़े कर देता है, खासकर प्यारे लाल यादव के गीत "काला साया, प्रेम का माया" में।

रवि (रितेश उपाध्याय): "सिंदूर लाल होता है प्रेम का, काला क्यों बन गया तू, मणि? ये जादू नहीं, हमारा प्यार ही असली तंत्र है!"
तांत्रिक (ज्योति मिश्रा): "काला सिंदूर लग गया तो मौत भी डर जाएगी, प्रेम तो बस एक सपना है जो कभी पूरा न होगा।"
मणि (मणि भट्टाचार्य, भूतनी रूप में): "मैं मर गई रवि, लेकिन ये शरीर मेरा नहीं... ये श्राप है जो तुझे निगल लेगा। भाग जा, वरना हम दोनों काले हो जाएँगे!"
ये डायलॉग्स न केवल पंची हैं, बल्कि भावनाओं को जगाती हैं – भोजपुरी की मिठास के साथ हॉरर का तड़का।

काला सिंदूर भोजपुरी सिनेमा को नई ऊँचाई देती है – यह न केवल डराती है, बल्कि सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे रीति-रिवाजों में छिपे अंधविश्वास कितने घातक हो सकते हैं। पूरी टीम की मेहनत, खासकर निर्देशक इश्तियाक शेख बंटी और अभिनेत्री मणि भट्टाचार्य की बहुमुखी प्रतिभा, इसे अविस्मरणीय बनाती है। छठ के मौके पर रिलीज होने वाली यह फिल्म परिवार के साथ देखने लायक है, लेकिन रात में अकेले न देखना – वरना काला साया सपनों में आ सकता है! रेटिंग: ★★★★☆ (4/5) – हॉरर, ड्रामा और प्रेम का परफेक्ट ब्लेंड।

ट्रेलर यहाँ से देखे

Written by - Sagar

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2025-10-23 10:53:31

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