Free Ka Dulha Movie Review: Rishabh Kashyap, Raksha Gupta family & comedy drama

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FREE KA DULHA Bhojpuri Movie Review: क्या बिना दहेज के मिलेगा दूल्हा? ऋषभ कश्यप 'गोलू' और रक्षा गुप्ता का धमाकेदार मनोरंजन!

फिल्म “फ्री का दूल्हा” एक साफ सुथरी पारिवारिक कॉमेडी ड्रामा है, जिसमें शादी, दहेज और मध्यमवर्गीय संघर्षों को हंसी मजाक और इमोशन के साथ पेश किया गया है। ऋषभ कश्यप ‘गोलू’ और रक्षा गुप्ता की जोड़ी इस पूरी कहानी को एंटरटेनिंग बनाने में अहम रोल निभाती है।

फिल्म की कहानी: जब दूल्हा बना बिकाऊ माल!

कहानी की शुरुआत एक ऐसे समाज से होती है जहाँ बेटों की शादी उनकी काबिलियत से नहीं, बल्कि उनकी 'रेट' (दहेज) से तय होती है। फिल्म में ऋषभ कश्यप 'गोलू' ने 'गोपाल' का किरदार निभाया है, जो एक पढ़ा लिखा और डॉक्टर बनने का सपना देखने वाला लड़का है। लेकिन घर की आर्थिक स्थिति और माँ (गायत्री देवी) के लालच के कारण गोपाल को 'दहेज के बाजार' का मोहरा बना दिया जाता है।

कहानी में नया मोड़ तब आता है जब रक्षा गुप्ता (राधा) की एंट्री होती है। राधा और गोपाल के बीच का प्यार समाज और परिवार की इस दहेज वाली दीवार को ढहाने की कोशिश करता है। फिल्म में एक बड़ा ट्विस्ट तब आता है जब समाज में 5 लाख की कीमत वाला दूल्हा अचानक 'फ्री का दूल्हा' बनने की स्थिति में आ जाता है। आखिर गोपाल और राधा की शादी कैसे होती है और क्या समाज की सोच बदलती है? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

मुख्य प्लॉट और ट्विस्ट

शुरुआत में “फ्री का दूल्हा” बनने के पीछे हीरो का मकसद सिर्फ अपनी शादी कर लेना होता है, लेकिन जैसे जैसे हालात बदलते हैं, यह स्टेप समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ स्टेटमेंट बन जाता है। बारात के दौरान कुछ रिश्तेदार और लालची चरित्र “फ्री” की शर्त में भी फायदे तलाशने लगते हैं, यहीं से फिल्म में कॉमिक सिचुएशन के साथ साथ टकराव और ड्रामा पैदा होता है।​

क्लाइमैक्स में मंडप पर पहुंचकर ऐसा राज खुलता है जिससे पता चलता है कि “फ्री” सिर्फ पैसों की कीमत नहीं, बल्कि दूल्हे दुल्हन की इज्जत, भरोसा और स्वाभिमान की भी बात थी। आखिरी रोल में हीरो का दमदार एक्टिंग और हीरोइन का स्टैंड मिलकर दहेज लेने वालों को करारा जवाब देता है और कहानी एक पॉजिटिव, संतोषजनक एंडिंग पर पहुंचती है।

एक्टिंग और परफॉर्मेंस

ऋषभ कश्यप ‘गोलू’ का किरदार मासूम, जिद्दी और इमोशनल सभी रंगों से भरा है, जो गांव का सीधा सादा लड़का होते हुए भी समाज की सोच पर सवाल उठाने की हिम्मत रखता है। उनकी टाइमिंग कॉमेडी सीन में गुदगुदाती है, जबकि इमोशनल सीन में उनकी आंखों का दर्द दर्शक को कहानी से जोड़कर रखता है।​

रक्षा गुप्ता ने सीधी सादी लेकिन मजबूत इरादों वाली नायिका के रूप में अच्छा काम किया है, उनका किरदार सिर्फ रोने धोने वाली बहू नहीं, बल्कि सही समय पर बोलने वाली बेटी और पत्नी के रूप में उभरकर सामने आता है। सपोर्टिंग कास्ट में राजनीश झा, रत्नेश वरवाल, अनीता रावत और बाकी कलाकारों ने ससुराल, ननद, समधी और गांव के लोगों से जुड़े कैरेक्टर को जीवंत बनाया है, जिससे फिल्म का पारिवारिक माहौल असली लगता है।​

निर्देशन, लेखन और तकनीकी पक्ष

फिल्म के डायरेक्टर और राइटर विकास कुमार विश्वकर्मा ने कहानी को हल्की फुल्की कॉमेडी के फ्लेवर में रखकर भी दहेज जैसे गंभीर मुद्दे को मुख्य धारा में बनाए रखा है। स्क्रीनप्ले में गांव की रोजमर्रा की भाषा, ठेठ भोजपुरी संवाद और पारिवारिक खींचतान को इस तरीके से बुना गया है कि दर्शक को एक एक सीन में अपने आसपास का समाज दिखता है।

फिरोज़ खान की सिनेमैटोग्राफी गांव की गलियां, बारात के सीक्वेंस और शादी की रस्मों को रंगीन और ग्रैंड बनाती है, जिससे यूट्यूब पर भी फिल्म विजुअली अच्छी लगती है। मनोज संकला की एडिटिंग फिल्म को ज्यादातर हिस्सों में टाइट रखती है, हालांकि कुछ जगह 1 2 सीन छोटे किए जाते तो रफ्तार और तेज हो सकती थी।​

म्यूज़िक, गाने और डांस

फिल्म का संगीत साजन मिश्रा और मनोज भास्कर ने दिया है, जिसमें शादी ब्याह, जश्न और इमोशन तीनों का अच्छा मिक्स देखने को मिलता है। “फ्री में मिलेला दूल्हा” टाइप टाइटल सॉन्ग और बारात डांस वाले गाने स्टेज शो और सोशल मीडिया रील्स के लिए परफेक्ट लगते हैं।​

मोहन राठौर, प्रियंका सिंह, आलोक कुमार, सुगम सिंह और अल्का झा जैसे आवाज़ों ने गानों को और भी लाउड और मसालेदार बना दिया है, जो भोजपुरी दर्शकों की पसंद के हिसाब से बिल्कुल फिट बैठता है। प्रसून यादव की कोरियोग्राफी में लोक डांस और मॉडर्न स्टेप्स का बैलेंस है, जिससे गाने आंखों और कान दोनों को एंटरटेन करते हैं।​

हाइलाइट पंच और दमदार सीन

 * “फ्री में दूल्हा, शर्त बस इज्जत की” वाला डायलॉग फिल्म का सबसे मजबूत मैसेज बनकर बार बार गूंजता है।​
 * बारात के सीन में जब रिश्तेदार फ्री वाले दूल्हे को भी दहेज की नजर से तौलने लगते हैं, वहां से शुरू होने वाली तकरार फिल्म का बड़ा टर्निंग पॉइंट है।​
 * क्लाइमैक्स में मंडप पर हीरो का यह कहना कि “दहेज वाला दूल्हा बिकता है, फ्री वाला दूल्हा खुद को और अपनी दुल्हन को खरीद फरोख्त से बचाता है” जैसी लाइनें सीधे दिल पर असर छोड़ती हैं।​
 * इन सबके बीच कॉमेडी पंच, तंज और घरेलू नोक झोंक कहानी को भारी होने से बचाते हैं और पूरी फिल्म परिवार के साथ बैठकर देखने लायक बनती है।​

फ्री का दूल्हा” एक टिपिकल भोजपुरी पारिवारिक फिल्म है, जिसमें मसाला, म्यूज़िक, कॉमेडी, रोमांस और सोशल मैसेज सब कुछ मौजूद है। यूट्यूब के Aura Telefilms चैनल पे ट्रेलर उपलब्ध है अभी देखे , इस पोस्ट में भी एम्बेड लिंक के माध्यम से देख सकते है निचे 

Written by - Sagar

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2025-12-17 21:01:37

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