'दुल्हिन वही जो पिया मन भाये 2' वंश की चाहत और रिश्तों की कशमकश की एक भावुक दास्तां
भोजपुरी सिनेमा में पारिवारिक और सामाजिक मुद्दों को परदे पर उतरने में रजनीश मिश्रा का कोई रिप्लेस नहीं है। यशी फिल्म्स (Yashi Films) के बैनर तले, अभय सिन्हा द्वारा निर्मित और रजनीश मिश्रा द्वारा निर्देशित फिल्म "दुल्हिन वही जो पिया मन भाये 2" (Dulhan Wahi Jo Piya Man Bhaye 2) का ट्रेलर रिलीज हो चुका है। यह फिल्म सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि रिश्तों की गहराइयों और समाज की 'वारिस' वाली सोच पर एक करारा प्रहार भी लगती है।
फिल्म की झलक और मुख्य थीम
ट्रेलर की शुरुआत हॉस्पिटल के एक दर्दनाक सीन से होती है, जहां डॉक्टर सिर्फ मां को बचा पाती हैं और बच्चे की जान नहीं बचा पातीं, जिसके बाद पूरा परिवार सदमे में डूब जाता है। इस घटना से अनारा गुप्ता का किरदार अंदर से टूट जाता है और वही मोड़ आगे चलकर कहानी की सबसे बड़ी मजबूरी और त्याग का कारण बनता है।
कहानी का मूल उदेश्य ‘औलाद’ और ‘मोहब्बत’ के बीच झूलता है, जहां एक तरफ ससुर की गोद में पोता खिलाने की जिद है और दूसरी तरफ पति–पत्नी के बीच पवित्र प्यार को बचाए रखने की जद्दोजहद। ट्रेलर साफ दिखाता है कि फिल्म सिर्फ रोमांस नहीं, बल्कि रिश्तों की परख, भरोसे की परीक्षा और समाज की सोच पर सवाल उठाने वाली इमोशनल रोलर–कोस्टर बनने वाली है।
कहानी: प्यार, त्याग और दूसरी शादी की दुविधा
ट्रेलर में दिखाया गया है कि बच्चे की मौत के बाद ससुर (अमित शुक्ला) की चाहत है कि घर की वंश परंपरा आगे बढ़े, इसलिए वह पोते के लिए दूसरी शादी का दबाव बनाते हैं। अनारा गुप्ता का किरदार खुद अपने पति को दूसरी शादी करने के लिए कहता है, ताकि ससुर का सपना और परिवार की ‘इज्जत’ दोनों बची रहे – यही त्याग कहानी का सबसे बड़ा भावनात्मक पंच है।
दूसरी ओर, ऑफिस की दुनिया में रितेश पांडेय का ट्रैक दिखता है, जहां उन पर काम का प्रेशर है, नया स्टाफ रखने की बातें हैं और इसी बीच एक नई महिला (अपर्णा मलिक) की एंट्री से ‘ऑफिस वाली से प्यार’ वाला एंगल सामने आता है। ट्रेलर के डायलॉग साफ करते हैं कि रितेश का किरदार अपनी बीवी से सच्ची मोहब्बत करता है, लेकिन हालात ऐसे हैं कि दिल और रिश्तों के बीच बंटवारा अनिवार्य सा दिखने लगता है।
कहानी के मुख्य बिंदु:
वंश का हठ: घर के बुजुर्ग (पिता) गोद लिए बच्चे को स्वीकारने से मना कर देते हैं। उनकी जिद है कि उनके पोते में उनका ही खून होना चाहिए।
दूसरी शादी का दबाव: वंश की खातिर बेटे पर दूसरी शादी का दबाव बनाया जाता है। पत्नी (संध्या) का दर्द और पति की बेबसी साफ़ झलकती है।
नया मोड़: कहानी में एंट्री होती है एक चुलबुली लड़की (अपर्णा मलिक) की, जो रितेश के ऑफिस में काम करती है। हँसी-मजाक और मुलाकातों का सिलसिला प्यार या मजबूरी के रिश्ते में बदल जाता है।
ट्रेलर के कुछ हल्के फुल्के पल, जैसे रेस्टोरेंट में बटर गार्लिक नान, पनीर बटर मसाला और दाल मखनी ऑर्डर करने वाला सीन, कहानी के बीच में रियल लाइफ टच और हलकी मुस्कान लेकर आते हैं, जो बाद के भावनात्मक तूफान को और असरदार बनाते हैं। साथ ही, ‘होटल की निशानी पेट में पल रहल बा ’ वाला डायलॉग आने वाले ड्रामे और सीक्रेट प्रेग्नेंसी एंगल की तरफ इशारा करता है, जो आगे फिल्म में बड़ा ट्विस्ट बन सकता है।
प्रेम त्रिकोण और संघर्ष: हालात ऐसे बनते हैं कि वह लड़की गर्भवती हो जाती है। अब समाज और परिवार के सामने सवाल खड़ा है—क्या वह बच्चा 'वंश' के रूप में स्वीकार किया जाएगा? क्या एक माँ (दूसरी औरत) को अपना बच्चा छोड़कर जाना होगा?
अभिनय और निर्देशन
अनारा गुप्ता (Anara Gupta): एक ऐसी पत्नी जो अपने पति को किसी और के साथ नहीं बांटना चाहती, लेकिन परिवार की खातिर घुट रही है—अनारा ने इस दर्द को अपनी आँखों से बखूबी बयां किया है।
अपर्णा मलिक (Aparna Malik) : फिल्म में ताजी हवा के झोंके की तरह आती हैं, लेकिन उनका किरदार कहानी को सबसे गंभीर मोड़ पर ले जाता है।रजनीश मिश्रा (Rajnish Mishra): लेखक और निर्देशक के तौर पर रजनीश मिश्रा ने फिर साबित किया है कि वो नब्ज पकड़ना जानते हैं। उन्होंने कहानी को अश्लीलता से दूर, पूर्णतः पारिवारिक सांचे में ढाला है।
संगीत और तकनीकी पक्ष
फिल्म का संगीत खुद रजनीश मिश्रा ने दिया है, जो कानों को सुकून देने वाला है। ट्रेलर में बैकग्राउंड स्कोर (शेखर सिंह) दृश्यों के प्रभाव को कई गुना बढ़ा देता है।
सिनेमेटोग्राफी : फिल्म के विजुअल्स बहुत ही रिच और ग्रैंड हैं। लंदन (संभावित) और भारतीय परिवेश का संगम बहुत ही खूबसूरती से दिखाया गया है।
संवाद : "हमरा बाबूजी के खून बा, हमरा पोता के अंदर भी हमार बेटा के खून चाही"—ऐसे संवाद समाज की रूढ़िवादी सोच को दर्शाते हैं और दर्शकों को सोचने पर मजबूर करते हैं।
फिल्म क्यों देखें?
अगर आप मार-धाड़ और अश्लीलता से हटकर, एक ऐसी फिल्म देखना चाहते हैं जिसे आप अपने पूरे परिवार के साथ बैठकर देख सकें, तो 'दुल्हिन वही जो पिया मन भाये 2' आपके लिए है। यह फिल्म आपको हंसाएगी, रुलाएगी और अंत में रिश्तों की अहमियत समझाएगी।
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