BhojpuriApp

Bhojpuri actor Dev Singh struggle-filled biography in Hindi, 2025 latest update

देव सिंह: भोजपुरी सिनेमा के दमदार अभिनेता की संघर्षभरी कहानी

भोजपुरी सिनेमा के इतिहास में कुछ ऐसे नाम हैं जिन्होंने अपनी मेहनत, लगन और निरंतर प्रयास से एक खास जगह बना ली है। देव सिंह ऐसे ही एक कलाकार हैं जिन्होंने अपनी शानदार अभिनय प्रतिभा के जरिए दर्शकों के दिल में जगह बनाई है। उनकी कहानी सिर्फ एक सितारे की कहानी नहीं है, बल्कि जिंदगी की कड़वी और मीठी दोनों यादों का एक खूबसूरत मिश्रण है। आइए, जानते हैं देव सिंह के जीवन के हर पहलू को विस्तार से।

जन्म और परिवार

देव सिंह का जन्म 28 सितंबर 1982 को पश्चिम बंगाल के असनसोल शहर में हुआ था। लेकिन उनकी असली जड़ें उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हैं। उनके पिता का नाम श्री हरि नारायण सिंह और माता का नाम मंती सिंह है। देव सिंह एक किसान परिवार से आते हैं - एक ऐसा परिवार जहां मेहनत-मजदूरी ही सब कुछ थी।
बचपन से ही देव सिंह के मन में कला और अभिनय के प्रति एक अलग ही आकर्षण था। जब उन्होंने असनसोल में अपनी पढ़ाई पूरी की, तो वह ट्राइवेणी देवी भालोतिया कॉलेज, रानीगंज से पढ़े हुए हैं। लेकिन किताबें और स्कूल का माहौल देव सिंह को संतुष्ट नहीं कर सका। उनके मन में सिनेमा, नाटक और रंगमंच का शौक ज्यादा तेज था।

मुंबई की ओर: सपनों की पहली उड़ान

युवावस्था का संघर्ष

देव सिंह जब मात्र 14 साल के थे, तो उन्होंने अपने सभी सपनों को पंख देने के लिए बलिया से मुंबई की ओर कूच कर दिया। यह निर्णय बहुत आसान नहीं था, लेकिन उन्हें अपने लक्ष्य का पूरा यकीन था। मुंबई पहुंचकर वह अपने एक करीबी दोस्त उधम के साथ रहने लगे।
मुंबई में उतरते ही देव सिंह को बड़ी हकीकत का सामना करना पड़ा। उन्होंने सबसे पहले सोनी टीवी के प्रसिद्ध शो 'जस्सी जैसी कोई नहीं' के लिए ऑडिशन दिया। लेकिन उनको निराश करते हुए कहा गया कि वह अभी बहुत छोटे हैं। यह पहली बार था जब उन्हें असफलता का स्वाद मिला, लेकिन यह अंतिम नहीं था।
उसके बाद उन्होंने कई ऑडिशन दिए, लेकिन हर बार नकारात्मक जवाब ही मिला। आर्थिक स्थिति भी दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी। उन्हें कुछ काम भी मिल गया, पर पैसे की कमी के कारण उन्हें बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। धीरे-धीरे उन्हें डिप्रेशन में जाना पड़ा और आगे चलकर उन्हें मिर्गी की बीमारी का भी पता चला।

जीवन की पहली बड़ी क्षति

इस बीमारी और मानसिक दबाव से निजात पाने के लिए देव सिंह ने अपना ध्यान बदलने की कोशिश की। उन्होंने मुंबई के किंग्स सर्कल में स्थित नीलफैशन नामक एक कपड़ों की दुकान में काम करना शुरू किया। लेकिन यह खुशी भी ज्यादा देर तक नहीं रही। महज 15 से 20 दिन काम करने के बाद ही उन्हें एक बहुत ही दर्दनाक खबर मिली उनकी माता का अचानक निधन हो गया।
यह मार्मिक क्षण देव सिंह के जीवन का सबसे कठिन दौर था। वह मात्र 1500 रुपये के साथ अपने गांव वापस लौट आए। उस समय उन्हें ऐसा लगा कि शायद सफलता उनके हिस्से में नहीं है।

गांव में फिर से प्रयास

कपड़ों की दुकान और नई उम्मीद

गांव लौटने के बाद देव सिंह ने अपने पिता से पैसे उधार लेकर एक कपड़ों की दुकान खोल दी। उन्होंने तीन साल तक इस दुकान को चलाया। थोड़ी-बहुत कमाई भी हुई, लेकिन दिल हमेशा सिनेमा की ओर ही लगा रहा। अंत में, देव सिंह ने फिर से मुंबई की ओर रुख किया, इस बार अपने साथ 5000 रुपये लेकर।

सिनेमा से पहली मुलाकात

मुंबई लौटने के बाद एक दिन देव सिंह की मुलाकात भोजपुरी फिल्म डायरेक्टर राजकुमार आर. पांडे से हुई। यह एक ऐसा क्षण था जो उनके पूरे जीवन को बदल देने वाला था। पांडे जी को देव सिंह की प्रतिभा में कुछ खास दिखा और उन्होंने उन्हें भोजपुरी फिल्म 'दीवाना' में काम करने का सुझाव दिया। हालांकि, इस फिल्म के बारे में विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह देव सिंह के सिनेमा कैरियर की शुरुआत थी।

टीवी सीरीज में पहली भूमिका और गहरी निराशा

'इम्तिहान' में कड़ी परीक्षा

साल 2009 में देव सिंह को महुआ टीवी चैनल पर प्रसारित होने वाली भोजपुरी टीवी सीरीज 'इम्तिहान' में एक छोटी सी भूमिका दी गई। लेकिन यह भूमिका बहुत छोटी थी - बस एक संवाद के लिए। जब वह संवाद को देने लगे, तो बीच ही में उन्हें सेट से बाहर निकाल दिया गया।
यह एक बहुत ही शर्मनाक और दर्दनाक पल था। एक युवा और महत्वाकांक्षी कलाकार के लिए इस तरह का अपमान सहना बहुत कठिन होता है। इसी घटना के बाद देव सिंह को गहरा डिप्रेशन आ गया और उन्होंने अपना जीवन समाप्त करने का भी प्रयास किया। यह एक अंधकारमय दौर था, लेकिन किसी न किसी कारण उन्हें बचा लिया गया।

'भाग्यविधाता' में नया प्रकाश

इस गहरी निराशा से बाहर आने के बाद, देव सिंह को फिर से एक मौका मिला। 2009 में ही उन्हें अभिनेत्री रिचा सोनी के साथ 'भाग्यविधाता' नामक एक टीवी सीरीज में काम करने का अवसर मिला। यह एक मोड़ था उनके जीवन में। इस सीरीज के दौरान ही उन्हें महुआ टीवी चैनल से भी कई ऑफर आने लगे। धीरे-धीरे उनका काम बढ़ने लगा और वह भोजपुरी टेलीविजन की दुनिया में अपनी पहचान बनाने लगे।

भोजपुरी सिनेमा में प्रवेश: नायक से खलनायक तक

शुरुआती फिल्मों में भूमिका

2011 में देव सिंह को भोजपुरी फिल्म 'बारूद' में सहायक अभिनेता की भूमिका दी गई। यह उनकी भोजपुरी सिनेमा की पहली फिल्म थी। इसके बाद उन्हें कई फिल्मों में काम के अवसर मिलने लगे। उन्होंने 50 से भी अधिक भोजपुरी फिल्मों में काम किया है।
उनकी कुछ प्रसिद्ध फिल्मों में शामिल हैं - 'प्रेम लीला', 'हम हैं लूटेरे', 'रुद्रा', 'सौगंध', 'संघर्ष', 'कूली नंबर 1', 'यारा तेरी यारी', 'हाथी देखना', 'लोहा पहलवान', और बहुत सारी दूसरी फिल्में।
खलनायक का किरदार उनकी पहचान बन गया
देव सिंह की सबसे बड़ी खूबी यह है कि उन्होंने ज्यादातर नकारात्मक भूमिकाएं अदा की हैं। भोजपुरी सिनेमा में खलनायक बनने के लिए बहुत सारी आंतरिक चीजें समझनी पड़ती हैं। देव सिंह ने इसे पूरी तरह समझा और अपने अभिनय से हर दर्शक को प्रभावित किया।

बड़े सितारों के साथ काम

अपने कैरियर की यात्रा में देव सिंह को भोजपुरी सिनेमा के सबसे बड़े नामों के साथ काम करने का मौका मिला। उन्होंने निरहुआ (दिनेश लाल यादव), रवि किशन, खेसारी लाल यादव और पवन सिंह जैसे महान कलाकारों के साथ फिल्मों में काम किया है।

पवन सिंह के साथ संबंध और विभाजन

2017 में जब देव सिंह 'तेरे जैसा यार कहाँ' फिल्म की शूटिंग कर रहे थे, तभी उन्हें एक बहुत ही गहरी खबर मिली - उनके पिता का अचानक निधन हो गया था। यह एक ऐसा समय था जब उन्हें किसी की मदद की जरूरत थी। उस समय पवन सिंह ने उनके साथ सहायता का हाथ बढ़ाया। पवन सिंह ने उन्हें 25,000 रुपये और एक फ्लाइट टिकट देकर घर भेज दिया।
पिता के अंतिम संस्कार के बाद देव सिंह फिर से काम पर लौट आए। पवन सिंह की दूसरी फिल्म 'पवन राज' (2017) में उन्हें काम का मौका दिया गया। इस पूरी फिल्म के लिए उन्हें 26,000 रुपये मिले। देव सिंह ने दो अन्य भोजपुरी फिल्मों को छोड़ दिया सिर्फ इस फिल्म में काम करने के लिए, क्योंकि वह पवन सिंह का सम्मान करना चाहते थे।

खेसारी लाल यादव के साथ विवाद
लेकिन जीवन हमेशा सीधा नहीं चलता। पवन राज की शूटिंग के दौरान जब देव सिंह को यह खबर मिली कि खेसारी लाल यादव की बेटी घायल हो गई है, तो वह तुरंत खेसारी के घर चले गए। यह एक मानवीय काम था, लेकिन इसकी कीमत उन्हें देनी पड़ी। जब पवन सिंह को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने देव सिंह को अपनी आगे की फिल्मों में से हटा दिया।
बाद में, देव सिंह ने खेसारी लाल के साथ काम किया और कई फिल्मों में उनके साथ दिखे। इनमें शामिल थीं - 'मैं सेहरा बाँध के आऊंगा', 'राजा जानी', 'डमरू' और 'मेरी जंग मेरा फैसला'।
अरविंद अकेला कल्लू के साथ जुड़ाव
भोजपुरी सिनेमा में देव सिंह का सबसे ज्यादा काम भोजपुरी गायक अरविंद अकेला (कल्लू) के साथ हुआ है। वह कल्लू की कई फिल्मों में दिखे हैं और उन्होंने एक अच्छी जोड़ी बनाई है।

बॉलीवुड में भी झलक

केवल भोजपुरी सिनेमा ही नहीं, देव सिंह ने बॉलीवुड में भी अपने पैर रखे हैं। वह कई हिंदी फिल्मों में काम कर चुके हैं। उन्हें अवधेश मिश्रा (एक प्रसिद्ध हिंदी फिल्म अभिनेता) अपने गॉडफादर मानते हैं और उन्होंने देव सिंह की अभिनय यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

व्यक्तिगत जीवन: प्रेम और विवाह


देव सिंह के व्यक्तिगत जीवन में 2018 एक महत्वपूर्ण साल साबित हुआ। देव सिंह ने 11 मई 2018 को सोनम सिंह से विवाह किया और उनका एक बेटा देवांश सिंह है। 
शादी के समय का रिसेप्शन मुंबई में आयोजित किया गया था और इसमें भोजपुरी सिनेमा के कई सितारे शामिल हुए थे। भोजपुरी सुपरस्टार रवि किशन भी इस अवसर पर मौजूद रहे।

देव सिंह ने अभिनय में कौन-कौन से अवॉर्ड जीते हैं और कब

प्रतिभा सम्मान (रंग महोत्सव) 2016 (यह रंगमंच/कुल योगदान के लिए)​,
गौरव अवार्ड 2019 (विशिष्ट फिल्म/भूमिका)​,
सबरंग भोजपुरी अवार्ड बेस्ट निगेटिव रोल 2018, 2017 में आई उनकी फिल्मों के लिए; विशेषकर विलेन भूमिकाओं के लिए,
बेस्ट एक्टर इन ए निगेटिव रोल (सबरंग) 2019 फिल्मों - “पवन राजा” और अन्य निगेटिव किरदार​,
भोजपुरी सिने अवार्ड 2020, 2021 (समग्र कलाकार योगदान के लिए)​,
पूर्वांचल सिनेमा अवार्ड 2020 ,
ग्रीन सिने अवार्ड 2021,
कर्मवीर अवार्ड (फिल्म या भूमिका नहीं; सामाजिक योगदान)​,
छत्रपति शिवाजी महाराज गौरव अवार्ड 2021 (कुल रचनात्मक यात्रा के लिए)​

कठिनाइयों का सामना

देव सिंह का जीवन एक सच्ची कहानी है कि कैसे एक इंसान अपने सभी दर्द, संघर्ष और निराशा को पार करके सफलता हासिल कर सकता है। उन्होंने अपने 14 साल की उम्र में ही अपना घर-परिवार छोड़ दिया। उन्हें मानसिक बीमारी, आर्थिक संकट, और कई बार बुरे अनुभवों का सामना करना पड़ा।
लेकिन हर बार वह उठ खड़े हुए। हर नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदलने का प्रयास किया। यह ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।

एक अधूरी दास्तान जो जारी है

देव सिंह की यह जीवन गाथा अभी पूरी नहीं हुई है। हर दिन एक नया अध्याय है, हर फिल्म एक नई कहानी है। वह अपने दर्शकों के साथ इसी तरह जुड़े रहेंगे, अपने अभिनय के माध्यम से उनका मनोरंजन करते रहेंगे।
भोजपुरी सिनेमा के इस महान कलाकार को सलाम करते हैं। उनके संघर्ष, उनकी मेहनत, उनकी जीतों को सलाम करते हैं। आशा है कि आने वाले समय में उन्हें और भी बड़े मंच मिलेंगे और वह अपनी प्रतिभा का आगे और भी प्रदर्शन करेंगे।

Written by - Sagar

Likes (0) comments ( 0 )
2025-11-23 15:07:32

Please login to add a comment.


No comments yet.