मैथिली ठाकुर: स्वरों की दुनिया से सियासत की मंच पर - अलीनगर विधानसभा से बीजेपी की नई उम्मीद
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एक नया अध्याय शुरू हुआ है जब लोकप्रिय भोजपुरी और मैथिली लोकगायिका मैथिली ठाकुर ने राजनीति में प्रवेश किया। 25 वर्षीय मैथिली, जो अपनी मधुर आवाज और भक्ति गीतों के लिए देशभर में जानी जाती हैं, अब दरभंगा जिले की अलीनगर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरी हैं। यह पहली बार है जब बिहार की लोक-संस्कृति से जुड़ी कोई प्रसिद्ध गायिका सीधे राजनीतिक मैदान में कदम रख रही है।
मैथिली ठाकुर : एक परिचय
25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी जिले में जन्मीं मैथिली ठाकुर संगीत के एक प्रतिष्ठित परिवार से आती हैं। उनके पिता रमेश ठाकुर स्वयं एक संगीत शिक्षक हैं। मैथिली को संगीत की शिक्षा अपने पिता और दादा से मिली है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के भारती कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है।
संगीत यात्रा
मैथिली की संगीत यात्रा आसान नहीं रही। शुरुआत में उन्हें सारेगामापा लिटिल चैंप्स और इंडियन आइडल जूनियर जैसे लोकप्रिय रियलिटी शो में रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। लेकिन हार न मानते हुए उन्होंने 2017 में "द राइजिंग स्टार" रियलिटी शो में हिस्सा लिया और फर्स्ट रनर-अप बनीं। उस समय वे 11वीं कक्षा में पढ़ रही थीं।
इसके बाद मैथिली ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके भजन और लोकगीत सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे। इंस्टाग्राम पर उन्हें 6.3 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स हैं और उनके वीडियो पर लाखों व्यूज आते हैं। भगवान राम के प्रति उनकी भक्ति से भरे गीत खासतौर पर बहुत लोकप्रिय हैं।
सम्मान और पुरस्कार
2021: संगीत नाटक अकादमी द्वारा उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार
2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों नेशनल क्रिएटर अवॉर्ड
2024: बिहार सरकार द्वारा राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का ब्रांड एंबेसडर
2024: निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार की 'स्टेट आइकन' (मतदाता जागरूकता के लिए)
रिपोर्ट्स के अनुसार, मैथिली एक शो के लिए 5 से 7 लाख रुपए तक की फीस लेती हैं और देश-विदेश में कार्यक्रम करती हैं।
औपचारिक प्रवेश: 14 अक्टूबर 2025
14 अक्टूबर 2025 को मंगलवार को मैथिली ठाकुर ने औपचारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। पटना स्थित भाजपा मुख्यालय के होटल चाणक्य स्थित मीडिया सेंटर में आयोजित समारोह में बिहार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने उन्हें पार्टी का पट्टा पहनाया और औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल किया।
इस अवसर पर मैथिली ने कहा: "मैं प्रधानमंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बहुत प्रभावित हूं। उनसे प्रेरणा लेते हुए मैं उनका समर्थन करने के लिए यहां हूं। मेरा मानना नहीं है कि किसी राजनीतिक दल में शामिल होने से आप राजनेता बन जाते हैं; मैं यहां समाज की सेवा करने और उनकी विचारधारा को प्रत्येक व्यक्ति तक ले जाने के लिए हूं। मैं मिथिला की बेटी हूं और मेरी आत्मा मिथिला में बसती है।"
टिकट घोषणा: 15 अक्टूबर 2025
पार्टी में शामिल होने के मात्र एक दिन बाद, 15 अक्टूबर 2025 को बुधवार को भाजपा ने अपनी दूसरी उम्मीदवार सूची जारी की, जिसमें 12 उम्मीदवारों के नाम थे। इस सूची में पहला और सबसे प्रमुख नाम मैथिली ठाकुर का था, जिन्हें अलीनगर विधानसभा सीट से पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया गया।
मिश्री लाल यादव का टिकट क्यों काटा गया?
अलीनगर सीट से पहले मिश्री लाल यादव विधायक थे, जो 2020 के चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के टिकट पर जीते थे। बाद में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था। लेकिन 27 मई 2025 को दरभंगा की एक विशेष अदालत ने उन्हें मारपीट के एक 6 साल पुराने मामले में दो साल की सजा सुनाई।
संविधान के अनुच्छेद 191 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत दो साल की सजा मिलने पर विधायक की सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है। जून 2025 में बिहार विधानसभा सचिवालय ने मिश्री लाल यादव की सदस्यता खत्म करने की अधिसूचना जारी कर दी। इस कारण अलीनगर सीट रिक्त हो गई और भाजपा को नया उम्मीदवार तलाशना पड़ा।
अलीनगर सीट क्यों चुनी गई?
मैथिली ठाकुर ने शुरुआत में अपने गृह क्षेत्र बेनीपट्टी (मधुबनी) या अलीनगर में से किसी एक सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। लेकिन बेनीपट्टी से भाजपा ने पहले ही विनोद नारायण झा को उम्मीदवार घोषित कर दिया था। इसलिए पार्टी ने मैथिली को अलीनगर से टिकट देने का निर्णय लिया।
अलीनगर क्यों महत्वपूर्ण है?
मैथिली का स्थानीय संबंध: मैथिली मधुबनी जिले की हैं और अलीनगर दरभंगा जिले में है, जो मिथिलांचल क्षेत्र का ही हिस्सा है।
मिथिला संस्कृति का गढ़: यह क्षेत्र मिथिला संस्कृति और परंपरा का केंद्र है, जहां मैथिली की लोकप्रियता अधिक है।
सोशल मीडिया का प्रभाव: युवा मतदाताओं और महिलाओं पर मैथिली का प्रभाव पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है।
नई ऊर्जा की जरूरत: 2020 में एनडीए को यहां बहुत कम अंतर (केवल 3,101 वोटों) से जीत मिली थी, इसलिए पार्टी को एक मजबूत और लोकप्रिय चेहरे की आवश्यकता थी।
नामांकन: 17 अक्टूबर 2025
17 अक्टूबर 2025 को गुरुवार को मैथिली ठाकुर ने अलीनगर विधानसभा सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। नामांकन के बाद उन्होंने बेनीपुर स्टेडियम में अपनी पहली जनसभा को संबोधित किया, जहां भारी भीड़ उमड़ी।
नामांकन से पहले मैथिली ने रैली भी निकाली। जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा: "मैंने अलीनगर को एक आदर्श शहर बनाने का संकल्प लिया है। मुझ पर विश्वास व्यक्त करने हेतु भाजपा एवं एनडीए के समस्त केंद्रीय तथा प्रदेश नेतृत्व का हृदय से आभार प्रकट करती हूं। अलीनगर की जनता की सेवा तथा भाजपा-एनडीए की लोकहितकारी नीतियों को गांव-गांव, जन-जन तक पहुंचाने के लिए पूर्ण समर्पण व प्रतिबद्धता के साथ कार्य करती रहूंगी।"
नामांकन के दिन भाजपा के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे।
महत्वपूर्ण तथ्य
* मैथिली बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की सबसे कम उम्र की उम्मीदवार हैं (25 वर्ष)।
* उनके हलफनामे के अनुसार, उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है।
* नामांकन के अंतिम दिन अलीनगर सीट से कुल 13 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया।
विपक्षी उम्मीदवार: मुख्य प्रतिद्वंदी
अलीनगर सीट पर मैथिली ठाकुर का सीधा मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के विनोद मिश्रा से होगा। विनोद मिश्रा 2020 के चुनाव में भी इस सीट से लड़े थे और बहुत कम अंतर (3,101 वोटों) से हार गए थे। वे ब्राह्मण समुदाय से हैं और इस क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है।
अन्य उम्मीदवार
संजय कुमार सिंह उर्फ पप्पू सिंह (निर्दलीय) - भाजपा के ही नाराज नेता, जिन्हें टिकट नहीं मिलने के कारण पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
अन्य छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवार
अलीनगर विधानसभा सीट: इतिहास और समीकरण
सीट का गठन और स्थिति
गठन वर्ष: 2008 (परिसीमन के बाद)
पहला चुनाव: 2010
श्रेणी: सामान्य (General)
लोकसभा क्षेत्र: दरभंगा
जिला: दरभंगा
प्रखंड: अलीनगर, तर्दीह, घनश्यामपुर और मोतीपुर पंचायत
ऐतिहासिक चुनावी नतीजे
2010 का चुनाव (पहला चुनाव)
विजेता: अब्दुल बारी सिद्दीकी (आरजेडी) - 37,923 वोट
दूसरे स्थान पर: प्रभाकर चौधरी (जेडीयू) - 32,934 वोट
जीत का अंतर: 4,989 वोट
2015 का चुनाव
विजेता: अब्दुल बारी सिद्दीकी (आरजेडी) - 67,461 वोट (पुनः निर्वाचित)
दूसरे स्थान पर: मिश्री लाल यादव (भाजपा) - 54,001 वोट
जीत का अंतर: 13,460 वोट (9.97%)
उस समय यह महागठबंधन और एनडीए के बीच कड़ा मुकाबला था।
2020 का चुनाव (सबसे रोमांचक)
विजेता: मिश्री लाल यादव (वीआईपी - एनडीए गठबंधन) - 61,082 वोट (38.62%)
दूसरे स्थान पर: बिनोद मिश्रा (आरजेडी) - 57,981 वोट (36.66%)
तीसरे स्थान पर: संजय कुमार सिंह (जन अधिकार पार्टी) - 9,737 वोट (6.16%)
चौथे स्थान पर: राज कुमार झा (लोजपा) - 8,850 वोट (5.6%)
जीत का अंतर: मात्र 3,101 वोट
यह पहली बार था जब यह सीट आरजेडी के हाथ से निकली और एनडीए के खाते में गई।
चुनावी इतिहास का विश्लेषण
2010-2015: आरजेडी का मजबूत गढ़ (अब्दुल बारी सिद्दीकी लगातार दो बार विजयी)
2020: एनडीए ने पहली बार जीत दर्ज की, लेकिन बहुत कम अंतर से
अब्दुल बारी सिद्दीकी बाद में भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन विवादों में घिर गए
जातीय और सामाजिक समीकरण
अलीनगर विधानसभा सीट की जातीय संरचना बेहद संवेदनशील है:
मुस्लिम मतदाता: लगभग 58,419 (सबसे बड़ा वोट बैंक)
ब्राह्मण समुदाय: महत्वपूर्ण संख्या में मतदाता
यादव समुदाय: अच्छी संख्या में मतदाता
अनुसूचित जाति: 12.37% मतदाता
कुर्मी और अन्य पिछड़ा वर्ग: महत्वपूर्ण संख्या
मतदाता संख्या
2020 में: 2,75,559 पंजीकृत मतदाता (1,44,316 पुरुष, 1,31,243 महिला)
2024 में: 2,84,014 मतदाता (वृद्धि के साथ)
इस दौरान 1,167 मतदाता बाहर चले गए
चुनावी समीकरण 2025: क्या है मैथिली के पक्ष में?
मजबूत पक्ष
युवा और महिला मतदाता: मैथिली की उम्र 25 वर्ष है और सोशल मीडिया पर उनकी भारी लोकप्रियता युवा वोटरों को आकर्षित कर सकती है।
साफ छवि: कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं और सकारात्मक सार्वजनिक छवि।
स्थानीय संबंध: मिथिलांचल क्षेत्र से होने के कारण स्थानीय भावनात्मक जुड़ाव।
ब्राह्मण वोट: मैथिली ब्राह्मण समुदाय से हैं, जो इस सीट पर महत्वपूर्ण है।
एनडीए की मजबूती: 2024 के लोकसभा चुनाव में दरभंगा सीट से भाजपा के गोपाल जी ठाकुर ने 78,156 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का चेहरा: नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का फायदा।
चुनौतियां
राजनीतिक अनुभव की कमी: मैथिली पहली बार चुनाव लड़ रही हैं और राजनीतिक समझ सीमित है।
आरजेडी का मजबूत आधार: अलीनगर पारंपरिक रूप से आरजेडी का गढ़ रहा है और मुस्लिम-यादव समीकरण यहां मजबूत है।
स्थानीय कार्यकर्ताओं का विरोध: भाजपा के ही कई स्थानीय कार्यकर्ता "बाहरी" उम्मीदवार कहकर मैथिली का विरोध कर रहे हैं।
बागी उम्मीदवार: भाजपा के नाराज नेता संजय सिंह (पप्पू सिंह) निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, जो वोटों को विभाजित कर सकते हैं।
मुस्लिम वोट बैंक: 58,419 मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव परंपरागत रूप से आरजेडी की ओर रहा है।
विनोद मिश्रा का अनुभव: आरजेडी के विनोद मिश्रा 2020 में बहुत कम अंतर से हारे थे और उनके पास अनुभव है।
स्थानीय विरोध: भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी
मैथिली ठाकुर को टिकट मिलने के बाद अलीनगर में भाजपा के ही कार्यकर्ताओं ने जोरदार विरोध किया है। सातों मंडल अध्यक्षों समेत स्थानीय नेताओं का कहना है:
मैथिली मधुबनी की हैं, अलीनगर से उनका सीधा संबंध नहीं है।
वर्षों से पार्टी के लिए मेहनत करने वाले स्थानीय कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया गया।
संजय सिंह (पप्पू सिंह) जैसे स्थानीय नेताओं को टिकट मिलना चाहिए था।
नाराज कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे सामूहिक इस्तीफा दे देंगे।
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