
Maithili thakur Singer Details Biography info in Hindi. बिहार की लोकसंगीत क्वीन का संघर्ष और सफलता की कहानी
मैथिली ठाकुर : एक सुरीली आवाज की कहानी
कभी-कभी कुछ आवाजें ऐसी होती हैं जो न सिर्फ़ कानों को सुकून देती हैं, बल्कि दिल को भी छू लेती हैं। ऐसी ही एक आवाज़ है मैथिली ठाकुर की, जो अपनी गायकी से लाखों-करोड़ों लोगों का दिल जीत चुकी हैं। बिहार के मधुबनी की माटी से निकली मैथिली ने अपनी सुरीली आवाज़ और पारंपरिक लोक संगीत के प्रति प्रेम से न सिर्फ़ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है।
जन्म और शुरुआती ज़िंदगी: मिथिला की बेटी
मैथिली ठाकुर का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी ज़िले के एक छोटे से कस्बे बेनीपट्टी में हुआ था। उनका नाम मिथिला की संस्कृति और माता सीता के सम्मान में रखा गया, क्योंकि "मैथिली" उनकी मातृभाषा भी है। मैथिली का परिवार संगीत से गहराई से जुड़ा हुआ था। उनके पिता, पंडित रमेश ठाकुर, एक प्रसिद्ध संगीत शिक्षक और लोक कलाकार हैं, जबकि उनकी माँ, भारती ठाकुर, एक गृहिणी हैं, जो हमेशा परिवार का सहारा रहीं।
मैथिली के दो छोटे भाई, रिशव ठाकुर और आयाची ठाकुर, भी संगीत की दुनिया में उनके साथी हैं। रिशव ताल पर तबला बजाते हैं, जबकि आयाची गायन और परकशन में योगदान देते हैं। मैथिली का बचपन मिथिला की संस्कृति, भक्ति, और संगीत के रंगों में रंगा था। उनके घर में हर समय संगीत की गूंज रहती थी, और यही माहौल उनकी ज़िंदगी का आधार बना।
संगीत की पहली सीढ़ी: दादाजी से गुरु-शिष्य परंपरा
मैथिली की संगीत यात्रा की शुरुआत महज़ चार साल की उम्र में हो गई थी। उनके दादाजी, श्री शोभा सिंधु ठाकुर, उनके पहले गुरु थे। दादाजी की गायकी को सुनकर मैथिली उनकी नकल करतीं और उनकी आवाज़ के साथ सुर मिलाने की कोशिश करतीं। इस छोटी सी उम्र में ही उनके पिता ने उनकी प्रतिभा को पहचान लिया। पिता रमेश ठाकुर ने मैथिली और उनके भाइयों को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, मैथिली लोक संगीत, हारमोनियम, और तबला सिखाना शुरू किया।
जब मैथिली छह साल की थीं, तब उनके पिता ने उनके लिए बेहतर अवसरों की तलाश में पूरे परिवार को दिल्ली के द्वारका में शिफ्ट कर लिया। यह फैसला आसान नहीं था, लेकिन रमेश ठाकुर को अपनी बेटी की प्रतिभा पर पूरा भरोसा था। दिल्ली में मैथिली ने बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल में दाखिला लिया, जहाँ उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ कई राज्य और राष्ट्रीय स्तर की संगीत प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और जीत हासिल की।
स्कूल और पढ़ाई: एक साधारण लड़की का असाधारण टैलेंट
मैथिली की शुरुआती पढ़ाई बेनीपट्टी में घर पर ही हुई, क्योंकि स्कूल उनके घर से काफी दूर था। दिल्ली आने के बाद उन्होंने बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। स्कूल में मैथिली को उनकी गायकी के लिए हमेशा सराहना मिली, लेकिन एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि स्कूल में उनकी अंग्रेजी के लिए कई बार उनका मज़ाक उड़ाया गया। इस बात ने उन्हें थोड़ा परेशान किया, लेकिन उन्होंने इसे अपनी ताकत बनाया और अपनी गायकी पर और ज़्यादा ध्यान दिया।
मैथिली ने अपनी पढ़ाई को संगीत के साथ बैलेंस किया। वह बताती हैं कि उनके पिता ने उन्हें और उनके भाइयों को अनुशासन और मेहनत का महत्व सिखाया। पढ़ाई के साथ-साथ वह जागरण और छोटे-मोटे म्यूज़िकल प्रोग्राम्स में गाना शुरू कर चुकी थीं। दस साल की उम्र तक मैथिली ने अपनी गायकी से स्थानीय स्तर पर लोगों का ध्यान खींचना शुरू कर दिया था।
टेलीविज़न पर पहला कदम: रियलिटी शोज़ की दुनिया
मैथिली की ज़िंदगी में बड़ा मोड़ तब आया, जब उन्होंने 2011 में ज़ी टीवी के रियलिटी शो "सा रे गा मा पा लिटिल चैंप्स" में हिस्सा लिया। यह उनका पहला बड़ा मंच था, और इस शो ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। हालाँकि वह शो जीत नहीं पाईं, लेकिन उनकी मासूम आवाज़ और शास्त्रीय संगीत की समझ ने जजेस और दर्शकों का दिल जीत लिया।
2015 में मैथिली ने सोनी टीवी के "इंडियन आइडल जूनियर" में हिस्सा लिया और टॉप 20 में अपनी जगह बनाई। उसी साल उन्होंने "I Genius Young Singing Star" प्रतियोगिता जीती, जिसके बाद उन्होंने यूनिवर्सल म्यूज़िक के साथ अपना पहला एल्बम "या रब्बा" लॉन्च किया। यह एल्बम उनकी गायकी का एक शानदार नमूना था और इसने उनकी प्रतिभा को और निखारा।
लेकिन मैथिली को असली पहचान मिली 2017 में, जब वह कलर्स टीवी के रियलिटी शो "राइज़िंग स्टार" की पहली फाइनलिस्ट बनीं। उन्होंने "ओम नमः शिवाय" गाकर सीधे फाइनल में एंट्री पाई। इस शो में वह सिर्फ़ दो वोटों से विजेता बनने से चूक गईं, लेकिन उनकी आवाज़ ने पूरे देश का ध्यान खींच लिया। शो के बाद उनकी लोकप्रियता सोशल मीडिया पर तेज़ी से बढ़ी, और यहीं से उनकी ज़िंदगी ने नया मोड़ लिया।
सोशल मीडिया और यूट्यूब: एक नई उड़ान
"राइज़िंग स्टार" के बाद मैथिली ने सोशल मीडिया का सहारा लिया। उन्होंने अपने भाइयों, रिशव और आयाची, के साथ यूट्यूब चैनल "मैथिली ठाकुर" शुरू किया, जहाँ वह अपनी गायकी के वीडियोज़ अपलोड करने लगीं। उनके गाने, खासकर मैथिली, भोजपुरी, और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, लोगों को बहुत पसंद आए। 2019 तक उनके यूट्यूब चैनल ने 10 लाख सब्सक्राइबर्स का आंकड़ा पार कर लिया, और उन्हें यूट्यूब का गोल्डन प्ले बटन मिला। आज उनके चैनल पर 50 लाख से ज़्यादा सब्सक्राइबर्स हैं और 1200 से ज़्यादा वीडियोज़ हैं।
मैथिली ने इंस्टाग्राम और फेसबुक पर भी अपनी मजबूत मौजूदगी बनाई। उनके इंस्टाग्राम पर 7M से ज़्यादा फॉलोअर्स हैं, और फेसबुक पर उनके पेज को 8 M लोग फॉलो करते हैं। उनके गाने, जैसे छठ गीत, कजरी, भक्ति भजन, और बॉलीवुड कवर्स, लोगों के बीच खूब वायरल हुए। खास बात यह है कि मैथिली ने अपनी गायकी में मिथिला की संस्कृति को जीवंत रखा और इसे नई पीढ़ी तक पहुँचाया।
संगीत की विविधता: हर भाषा, हर शैली
मैथिली की गायकी की सबसे बड़ी खासियत है उनकी बहुमुखी प्रतिभा। वह न सिर्फ़ मैथिली और भोजपुरी गाने गाती हैं, बल्कि हिंदी, बंगाली, उर्दू, मराठी, पंजाबी, तमिल, तेलुगु, और अंग्रेजी जैसी कई भाषाओं में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरती हैं। उनके गाने में शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, भक्ति भजन, और बॉलीवुड कवर्स का अनोखा संगम देखने को मिलता है।
मैथिली के कुछ सबसे लोकप्रिय गाने हैं:
छठ गीत: मिथिला की संस्कृति का अहम हिस्सा, जो उनकी गायकी में खूब झलकता है।
कजरी: पारंपरिक लोक शैली, जिसे उन्होंने अपनी आवाज़ से नया रंग दिया।
राम भजन: 2024 में उनका गाना "माँ शबरी" इतना वायरल हुआ कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसकी तारीफ की।
शास्त्रीय गाने: जैसे "ओम नमः शिवाय", जिसने उन्हें "राइज़िंग स्टार" में पहचान दिलाई।
मैथिली की गायकी में एक खास बात है कि वह हर गाने को अपनी आत्मा से गाती हैं। उनके भजन सुनकर लोग भक्ति में डूब जाते हैं, और उनके लोक गीत सुनकर मिट्टी की सोंधी खुशबू महसूस होती है।
उपलब्धियाँ और सम्मान: मिथिला का गर्व

मैथिली ने अपनी छोटी सी उम्र में कई बड़े सम्मान हासिल किए हैं। कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ हैं:
अटल मिथिला सम्मान: भारत सरकार द्वारा उनकी संगीत साधना के लिए।
लोकमत सुर ज्योत्सना नेशनल म्यूज़िक अवॉर्ड 2021: सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर के हाथों।
I Genius Young Singing Star 2015: इस जीत ने उन्हें पहला बड़ा मंच दिया।
मधुबनी की ब्रांड एम्बेसडर: 2019 में मैथिली और उनके भाइयों को निर्वाचन आयोग ने मधुबनी ज़िले का ब्रांड एम्बेसडर बनाया।
दिल्ली स्टेट लेवल कॉम्पिटिशन: शास्त्रीय संगीत में पाँच बार विजेता।
इनके अलावा, मैथिली की गायकी को आकाशवाणी ने भी सम्मानित किया। उनके गाए शास्त्रीय संगीत को 99 साल तक प्रसारित करने का अनुबंध किया गया है। यह उनके लिए बहुत बड़ा सम्मान है।
बॉलीवुड में कदम: नया अध्याय
2024 में मैथिली ने बॉलीवुड में भी अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा। वह अजय देवगन की फिल्म 'औरो में कहा दम था' में के गानो में अपना आवाज दिया है, गाना किसी रोज़ । यह उनके करियर का एक नया पड़ाव है, जो उनकी प्रतिभा को और बड़े मंच पर ले जाएगा।
निजी ज़िंदगी: सादगी और संस्कृति की मिसाल
मैथिली की ज़िंदगी में संगीत के अलावा भी बहुत कुछ है। वह एक साधारण और संस्कारों से भरी लड़की हैं। वह शुद्ध शाकाहारी हैं और हिंदू धर्म को गहराई से मानती हैं। उनके दोस्त और परिवार उन्हें प्यार से "तन्नु" बुलाते हैं। मैथिली को हारमोनियम बजाना, नाचना, और यात्रा करना बहुत पसंद है।
वह सोशल मीडिया पर अपनी ज़िंदगी की छोटी-छोटी बातें साझा करती रहती हैं, जिससे उनके फैंस को उनसे गहरा जुड़ाव महसूस होता है। मैथिली ने कभी अपनी निजी ज़िंदगी, जैसे कि रिलेशनशिप या अफेयर्स, के बारे में खुलकर बात नहीं की। वह अपनी गायकी और परिवार पर ही फोकस करती हैं।
आर्थिक पहलू: मेहनत की कमाई
मैथिली की कमाई का मुख्य स्रोत उनके यूट्यूब चैनल, स्टेज शोज़, और ब्रांड प्रमोशन्स हैं। उनके यूट्यूब चैनल से हर महीने 2-3 लाख रुपये की कमाई होती है, और उनकी कुल नेटवर्थ करीब 1 करोड़ रुपये आँकी गई है। इसके अलावा, वह कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स में परफॉर्म करती हैं, जिससे उनकी आय और बढ़ती है।
चुनौतियाँ और प्रेरणा: एक सच्ची योद्धा
मैथिली की ज़िंदगी आसान नहीं थी। स्कूल में अंग्रेजी के लिए मज़ाक, रियलिटी शोज़ में हार, और लगातार मेहनत की ज़रूरत ने उन्हें कई बार तोड़ा। लेकिन उनके पिता और परिवार का साथ, और उनकी अपनी मेहनत ने उन्हें कभी रुकने नहीं दिया। मैथिली कहती हैं कि उनके पिता उनके सबसे बड़े प्रेरणास्त्रोत हैं, जिन्होंने उन्हें संगीत के साथ-साथ ज़िंदगी के सबक भी सिखाए।
समाज पर प्रभाव: मिथिला की संस्कृति का प्रचार
मैथिली ने न सिर्फ़ अपनी गायकी से लोगों का दिल जीता, बल्कि मिथिला की संस्कृति को भी दुनिया के सामने लाया। उनके छठ गीत और भक्ति भजन मिथिला की परंपराओं को जीवंत करते हैं। वह नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने की कोशिश करती हैं, और यही उनकी गायकी की सबसे बड़ी ताकत है।
वर्तमान प्रोजेक्ट और भविष्य की योजनाएँ
वर्तमान समय में (मई 2025), मैथिली ठाकुर बिहार खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की ब्रांड एंबेसडर के रूप में सक्रिय हैं। वह युवाओं को बिहार के पारंपरिक कला, हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योग से जोड़ने का काम कर रही हैं। इसके अलावा, वह अपने भाइयों के साथ मिलकर विभिन्न संगीत प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही हैं।
मैथिली ने खुद कहा है कि उनके लिए यह गर्व की बात है कि वह अपनी मातृभूमि बिहार की संस्थाओं के लिए काम कर सकती हैं। उनकी इच्छा है कि बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले।
मैथिली ठाकुर सिर्फ़ एक गायिका नहीं, बल्कि एक प्रेरणा हैं। उनकी कहानी मेहनत, लगन, और संस्कृति के प्रति प्रेम की कहानी है। बेनीपट्टी के छोटे से गाँव से निकलकर उन्होंने पूरी दुनिया में अपनी आवाज़ की गूंज फैलाई। उनकी सादगी, उनकी गायकी, और उनका अपने परिवार के प्रति प्रेम उन्हें और भी खास बनाता है।
मैथिली की आवाज़ में वो जादू है, जो सुनने वाले को मिथिला की गलियों, माँ सीता की भक्ति, और भारतीय संस्कृति की गहराई तक ले जाता है। हम सब यही दुआ करते हैं कि उनकी ये यात्रा यूं ही चलती रहे, और उनकी आवाज़ हमेशा हमारे दिलों में गूंजती रहे।
Please login to add a comment.
No comments yet.