Paanch Bahuo Ki Mahabharat Bhojpuri Movie: Amrapali Dubey, Kajal Raghwani, and Akshara Singh

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पाँच बहुओं की महाभारत मूवी रिव्यू | भावनाओं, टकराव और रिश्तों का महाभारत

भोजपुरी सिनेमा की तीन टॉप लेडी सुपरस्टार आम्रपाली दुबे, काजल राघवानी और अक्षरा सिंह एक ही फिल्म में? भाई, ये तो अपने-आप में ही ब्लॉकबस्टर वाली गारंटी है! इस्तियाक शेख (बंटी) के निर्देशन में बनी यह फिल्म सिर्फ बहुओं की कहानी नहीं है, बल्कि एक ऐसा घराना दिखाती है जहाँ रिश्ते, राजनीति, ईगो और प्यार सब एक साथ टकराते हैं, और जन्म लेती है एक नई "महाभारत"।

कहानी: घर की लड़ाई से महाभारत तक

फिल्म की कहानी एक संयुक्त परिवार के इर्द गिर्द घूमती है, जहाँ पाँच बहुएँ अलग अलग मिजाज और सोच के साथ इस घर में आती हैं और रिश्तों का संतुलन बिगड़ना शुरू होता है। किसी बहू की प्राथमिकता खुद का करियर है, कोई पति और बच्चों के लिए सब कुछ कुर्बान कर देने वाली पारंपरिक गृहिणी है, तो कोई ससुराल की राजनीति में माहिर है, इन्हीं अलग अलग स्वभावों की टकराहट कहानी को आगे बढ़ाती है।​

शुरुआत में छोटी छोटी नोकझोंक, ताने, comparison और एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ घर के माहौल को हल्का फुल्का कॉमेडिक बनाती है, लेकिन धीरे धीरे ये मामूली झगड़े Ego, कलेश और ग्रुपबाज़ी में बदलकर सास बहू, देवरानी जेठानी और भाई भाई के रिश्तों तक को जहरिला कर देते हैं। जब संपत्ति, इज़्ज़त और अधिकार की लड़ाई चरम पर पहुँचती है, तो घर सचमुच महाभारत के कुरुक्षेत्र की तरह दो खेमों में बँट जाता है और हर किरदार अपने अपने पक्ष में खड़ा दिखाई देता है।

क्लाइमेक्स में कोई बड़ा भावनात्मक मोड़ परिवार को आईना दिखाता है, और यही Twist कहानी का Turning Point बनता है। इसी झटके के बाद बहुएँ अपने अपने ग़लतियों को समझती हैं, सास और बाकी घरवाले भी अपनी सोच पर रिव्यू करते हैं और फिर आपसी बातचीत, माफी और समझौते के साथ परिवार एकजुट होता है, जो फिल्म को पॉजिटिव मैसेज के साथ खत्म करता है।​

वो सीन जो दिमाग में छप जाते हैं

अक्षरा सिंह की एंट्री सीन – भाई, एकदम शेरनी वाली वाइब!
आम्रपाली vs काजल की बहस – सभ्यता में लिपटा हुआ तुफानी ताना-बाजी।
पांचों बहुओं का मिड-क्लाइमैक्स तकरार सीन – पूरा घर मैदान-ए-जंग!
इमोशनल टर्निंग पॉइंट, जहाँ सच का खुलासा पूरे परिवार को हिला देता है।

तीनों हीरोइनों ने सच में महाभारत रचा दी

आम्रपाली दुबे –सुपर नियंत्रित, स्मार्ट, फैमिली ओरिएंटेड बहू। जब भावनाओं का विस्फोट होता है, तो दिल का नक्शा बदल देती हैं।
काजल राघवानी – नेचुरल एक्टिंग का टैंकर! उनकी स्माइल के पीछे छुपी चुलबुलाहट और परिस्थितियों पर पकड़ देखने लायक है।
अक्षरा सिंह – फिल्म की फायर ब्रांड बहू। जहाँ संवादों में दम चाहिए, वहाँ अक्षरा बेस्ट लगती हैं। शक्ति और विद्रोह की परफेक्ट मिक्सिंग।

इनके अलावा सपोर्टिंग बहुओं और किरदारों ने भी अपना-अपना हिस्सा मजबूती से निभाया है।

क्या खास है पटकथा और निर्देशन में

इस्तियाक शेख (बंटी) ने कहानी, पटकथा और निर्देशन  तीनों जिम्मेदारियाँ उठाकर फिल्म को एक क्लियर विज़न दिया है, जिसकी वजह से प्लॉट बिखरने के बावजूद भी एक लाइन पर चलता महसूस होता है। शुरुआत में हल्के–फुल्के पारिवारिक सीन, बीच में तीखे कॉन्फ्लिक्ट और अंत में इमोशनल रियूनियन – ये तीन फेज़ फिल्म को एंटरटेनिंग ग्राफ देते हैं।​

पटकथा की खासियत यह है कि हर बहू को एक अलग बैकग्राउंड, सोच और कॉन्फ्लिक्ट दिया गया है, जिससे दर्शक हर किरदार के नज़रिए को भी समझ पाते हैं, सिर्फ किसी एक को विलन या एक को देवी नहीं बनाया गया। संवाद (अरविंद तिवारी) कई जगह पर तेज और चुभते हुए लिखे गए हैं, जो सास–बहू के टकराव को रियल बनाते हैं और कई पंच ऐसे हैं जो सीधे दिल और दिमाग दोनों पर असर छोड़ते हैं।

तकनीकी पक्ष: कैमरा, संगीत और एडिटिंग

डी.के. शर्मा की सिनेमाटोग्राफी घर के भीतर की क्लोज़ फ्रेमिंग से लेकर इमोशनल मोमेंट्स में चेहरे के क्लोज़-अप तक, हर जगह ड्रामा को विजुअली सपोर्ट करती है। कुछ सीन में घर का माहौल इतना रियल लगता है कि यह किसी सेट के बजाय असल मिडिल क्लास भोजपुरी फैमिली जैसा लगता है।​

संगीतकार ओम झा ने पारिवारिक, भावुक और रफ्तार भरे गानों का मिक्स दिया है, जो फिल्म के अलग–अलग Mood के साथ फिट बैठता है और लिरिक्स में अरविंद तिवारी के शब्द रिश्तों की खटास मिठास को सही तरह उभारते हैं। एडिटिंग (प्रीतम नाइक) कई जगह फिल्म को टाइट रखती है, हालांकि पाँच बहुओं और पूरे परिवार की कहानी दिखाने के चक्कर में कुछ सीन थोड़े लम्बे महसूस हो सकते हैं, फिर भी समग्र रूप से फ्लो बना रहता है।​

मारधाड़ सीक्वेंस में एक्शन को घर परिवार के बैकड्रॉप के साथ रखा गया है, इसलिए वो ओवरडोज नहीं लगते बल्कि कहानी के हिसाब से आते हैं और नृत्य निर्देशन (कानू मुखर्जी) गानों को विजुअली एंटरटेनिंग बनाता है। सेट डिज़ाइन और कॉस्ट्यूम रियलिस्टिक मिडिल–क्लास सोसाइटी को दिखाते हुए भी सिनेमाई चमक बनाए रखते हैं, जिससे फिल्म की Production Value अच्छी नज़र आती है।​

फिल्म देखे  (Highlight Punch Points)

 * एक ही घर की पाँच बहुओं के बीच चल रही मन की महाभारत, जिससे हर शादीशुदा दर्शक अपने घर की झलक देख पाएगा।​
 * आम्रपाली दुबे, काजल राघवानी और अक्षरा सिंह जैसे तीन टॉप Bhojpuri स्टार्स एक ही फ्रेम में, जो खुद ही फिल्म को थिएटर/मोबाइल पर देखने लायक बना देते हैं।​
 * महिला प्रधान कहानी, जहाँ बहुएँ सिर्फ रोने धोने वाली नहीं बल्कि फैसले लेने वाली, सवाल पूछने वाली और रिश्तों को संभालने वाली स्ट्रॉन्ग पर्सनैलिटी के रूप में दिखती हैं।​
 * दमदार संवाद, इमोशनल मोमेंट्स और पारिवारिक ट्विस्ट टर्न, जो वीडियो बंद करने नहीं देते और अंत तक curiosity बनाए रखते हैं कि परिवार टूटेगा या जुड़ेगा।​
 * साफ सुथरा पारिवारिक कंटेंट, जिसे पूरा परिवार साथ बैठकर देख सकता है, और देखने के बाद भी घर के रिश्तों पर सोचने के लिए मजबूर करता है।​

यह मूवी Youtube के Yashi Films​ चैनेल पे रिलीज़ है 
Written by - Sagar

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2025-12-11 21:16:35

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