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Munna Singh Vyas Bhojpuri Lokgeet Star complete Biography हिट गाने और संगीत की अनोखी शैली

मुन्ना सिंह व्यास: भोजपुरी लोकगायक 

भोजपुरी लोकगायन के क्षेत्र में मुन्ना सिंह व्यास एक ऐसा नाम है जिसने अपनी सुरीली आवाज़ और अनूठी प्रस्तुति से लाखों श्रोताओं के दिलों में अपना स्थान बनाया। 80 के दशक में भोजपुरी संगीत के क्षेत्र में एक चमकते सितारे के रूप में उभरे मुन्ना सिंह व्यास ने न केवल भोजपुरी लोकगायन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि अपनी प्रतिभा से बॉलीवुड तक को प्रभावित किया। आइए जानते हैं उनके जीवन की विस्तृत कहानी, उनके संघर्ष, सफलता और भोजपुरी संगीत को दिए गए अमूल्य योगदान के बारे में।

जन्म और प्रारंभिक जीवन

मुन्ना सिंह व्यास का जन्म बिहार प्रांत के भोजपुर जिले के कुणैसर गाँव में हुआ। यद्यपि उनकी सटीक जन्मतिथि उपलब्ध नहीं है, लेकिन वे एक संपन्न परिवार से थे। उनके पिताजी रेलवे विभाग में उच्च पदाधिकारी के रूप में कार्यरत थे। संगीत के प्रति उनका लगाव बचपन से ही था, लेकिन एक संपन्न परिवार से होने के कारण शुरुआत में उन्हें परिवार का विरोध झेलना पड़ा।

संगीत यात्रा की शुरुआत

मुन्ना सिंह व्यास ने अपनी संगीत यात्रा की औपचारिक शुरुआत सन 1973 में की जब उन्होंने अपने गाँव के ही देवल धारी सिंह (जिन्हें मास्टर जी के नाम से जाना जाता था) के मार्गदर्शन में गायन सीखना आरंभ किया। शुरुआती दिनों में उन्हें परिवार के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन संगीत के प्रति उनका समर्पण और जिद इतनी मजबूत थी कि अंततः परिवार को उनकी प्रतिभा के आगे झुकना पड़ा।
साल 1976 तक आते-आते मुन्ना सिंह व्यास को प्रसिद्धि मिलने लगी और वे स्टेज शो के लिए आमंत्रित किए जाने लगे। धीरे-धीरे उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई, और 1980 के दशक के आरंभ तक उनके पास इतने स्टेज शो के प्रस्ताव आने लगे कि वे महीने के दिनों से भी अधिक हो गए। यह उनकी बढ़ती लोकप्रियता का प्रमाण था।

स्टारडम का उदय

मुन्ना सिंह व्यास के करियर में निर्णायक मोड़ 1984 में आया, जब उनके स्टेज शो के दौरान रिकॉर्ड किए गए गीतों का कैसेट बाजार में उतारा गया। यह किसी भोजपुरी पुरुष गायक का पहला कैसेट था, जिसमें "पानी भरे सांवर गोरिया" जैसा सुपरहिट गाना शामिल था। इस कैसेट के बाद, मुन्ना सिंह व्यास गायक से सितारा बन गए।
इस दौरान वे भोजपुरी लोकगायन के क्षेत्र में नित नए प्रयोग करते रहे। वे नए वाद्ययंत्रों का प्रयोग करने और नई विधाओं में गायन करने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। उनकी लोकप्रियता इस कदर बढ़ी कि लोग अपने विवाह या अन्य समारोहों की तिथि उनकी उपलब्धता के अनुसार निर्धारित करते थे। उनकी व्यस्तता के कारण गानों की रिकॉर्डिंग दिल्ली की जगह बनारस में होने लगी।

प्रसिद्ध गीत और योगदान

मुन्ना सिंह व्यास ने भोजपुरी संगीत को कई अविस्मरणीय गीत दिए, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
"खउलत खून बहल नस नस में" (कुंवर सिंह गीत)
"ई जवनिया हमार जिनिगिया के भार हो गईल"
"रोआं टुटिहें गरीब के त पड़बे करी"
"नथुनिये प गोली मारे"

इनमें से "नथुनिये प गोली मारे" ने इतनी सफलता हासिल की कि इसकी धुन को बॉलीवुड की फिल्म "दूल्हे राजा" के गाने "अँखियों से गोली मारे" में भी प्रयोग किया गया, जिसमें गोविंदा और रवीना टंडन ने अभिनय किया था।

मुन्ना सिंह व्यास भोजपुरी में सोहर (नवजात शिशु के स्वागत में गाए जाने वाले गीत) गाने वाले पहले पुरुष गायक थे। इसके अलावा, उन्होंने देवी गीत, बोल बम के गीत और होली गीतों के कैसेट का चलन भी शुरू किया, जो आज तक जारी है

संघर्ष और चुनौतियाँ

मुन्ना सिंह व्यास के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए। 1994 में, वे एक सड़क दुर्घटना के शिकार हो गए। हालांकि, अपनी जिजीविषा और दृढ़ संकल्प के बल पर वे कुछ महीनों बाद ही सफलतापूर्वक वापसी करने में सफल रहे और उनके एल्बम और स्टेज शो जारी रहे।
अगले 7 साल अच्छे बीते, लेकिन फिर 2001 में एक स्टेज शो के दौरान उन्हें गोली लग गई। इस घटना के बाद वे महीनों अस्पताल में भर्ती रहे। इस घटना ने उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित किया और वापसी के बाद उन्होंने गाना और स्टेज शो करना कम कर दिया।

मुन्ना सिंह ब्यास के जीवन के कुछ अनसुने और रोचक पहलू

1. शादी की तिथि उनकी उपलब्धता पर:
लोग अपने विवाह या आयोजन की तिथि मुन्ना सिंह ब्यास की उपलब्धता के अनुसार तय करते थे। यह उनकी लोकप्रियता का अद्वितीय उदाहरण था, जो भोजपुरी संगीत में किसी अन्य कलाकार के साथ शायद ही देखने को मिला हो।

2. बॉलीवुड को प्रेरणा देने वाला गाना:
उनका गाना "नथुनिये प गोली मारे" इतना मशहूर हुआ कि बॉलीवुड ने इसकी धुन "अँखियों से गोली मारे" (दूल्हे राजा, 1998) में इस्तेमाल की। यह भोजपुरी संगीत का ऐसा उदाहरण है, जहाँ बॉलीवुड ने लोकधुन को अपनाया।

3. सोहर गायन में क्रांति:
वे भोजपुरी में सोहर (नवजात के स्वागत में गाया जाने वाला गीत) गाने वाले पहले पुरुष गायक बने, जो पहले केवल महिलाओं का दायरा माना जाता था। इससे लोकगायन में लैंगिक बंधन टूटे।

4. दुर्घटनाओं से जूझती वापसी:
1994: सड़क दुर्घटना के बाद महीनों संघर्ष कर वापसी की।
2001: एक स्टेज शो के दौरान गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हुए, लेकिन हिम्मत नहीं हारी।

5. अश्लीलता के दौर से अलग रहना:
2000 के दशक में भोजपुरी संगीत में अश्लीलता बढ़ी, तो मुन्ना सिंह ने इससे दूरी बनाकर सादगी और शुद्ध लोकधुन को प्राथमिकता दी।

6. नए वाद्ययंत्रों के प्रयोग:
उन्होंने लोकगीतों में आधुनिक वाद्ययंत्रों का समावेश किया और बैठकी गीत, देवी गीत जैसी विधाओं को नया स्वरूप दिया।

7. "लाल चुनरिया माई के" का इंतजार:
2007 में आया उनका आखिरी एल्बम "लाल चुनरिया माई के" के बाद उन्होंने कैसेट गायन से संन्यास ले लिया, लेकिन फैंस आज भी उनकी नई रिलीज की उम्मीद करते हैं।

8. 7,000+ गानों का रिकॉर्ड:
उनकी डायरी के अनुसार, उन्होंने 7,000 से अधिक गाने गाए, जिनमें 100+ एल्बम और 1,000+ रिकॉर्डेड ट्रैक शामिल हैं। यह आँकड़ा भोजपुरी लोकगायन में अद्वितीय है।

9. आधुनिकता का शौक:
वे आधुनिक ड्रेस और कारों के शौकीन थे, जो उस दौर में लोककलाकारों के लिए असामान्य था। इससे उनकी छवि एक स्टार की बनी।

10. गांव से ग्लैमर तक का सफर:
बिहार के कुणैसर गाँव से निकलकर उन्होंने भोजपुरी संगीत को वैश्विक पहचान दिलाई, लेकिन आज भी अपने पैतृक गाँव में सादगी से रहते हैं।


अंतिम वर्ष और वर्तमान स्थिति

2000 के दशक के मध्य में भोजपुरी संगीत में अश्लीलता का दौर आया, जिसमें मुन्ना सिंह व्यास स्वयं को समायोजित नहीं कर पाए और धीरे-धीरे कैसेट गायन की दुनिया से दूर हो गए। उनका आखिरी एल्बम "लाल चुनरिया माई के" 2007 में आया था।
मुन्ना सिंह व्यास के अनुसार, उन्होंने अब तक 7 हजार से अधिक गाने गाए हैं, जिनमें से 100 से अधिक एल्बम और एक हजार से अधिक रिकॉर्डेड गानों का विवरण उनकी डायरी में लिखा है।
वर्तमान में, मुन्ना सिंह व्यास अपने पैतृक गांव में शांति और खुशहाली से रह रहे हैं और चुनिंदा स्टेज शो ही करते हैं।

मुन्ना सिंह व्यास भोजपुरी लोक संगीत के वे महान कलाकार हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा और नवाचारों से भोजपुरी संगीत को नई पहचान दी। उन्होंने न केवल भोजपुरी पुरुष गायकों के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त किया, बल्कि अपने प्रयोगों से भोजपुरी संगीत को समृद्ध भी किया। उनके गाने आज भी भोजपुरी संगीत प्रेमियों के दिलों में बसे हुए हैं और नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
भोजपुरी लोकगायन के इस चमकते सितारे ने अपनी जीवनयात्रा में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन उनका संगीत के प्रति समर्पण कभी कम नहीं हुआ। मुन्ना सिंह व्यास के योगदान को भोजपुरी संगीत के इतिहास में सदैव याद रखा जाएगा।

Written by - Sagar

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2025-05-01 21:34:39

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