
Pankaj Kesari Bhojpuri Actor Detailed Biography info in Hindi. भोजपुरी सिनेमा से साउथ फिल्मों तक का सफर
पंकज केसरी: बिहार के सितारे से साउथ की फिल्मों तक का सफर
पंकज केसरी का नाम भोजपुरी सिनेमा जगत में एक प्रतिष्ठित और प्रभावशाली कलाकार के रूप में जाना जाता है। उन्होंने न केवल भोजपुरी फिल्मों में बल्कि बॉलीवुड, तमिल और तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। चालीस से अधिक भोजपुरी फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाने के साथ-साथ दक्षिण भारतीय सिनेमा में भी उन्होंने सत्रह से अधिक फिल्मों में काम किया है। रंगमंच से शुरू होकर टेलीविजन एंकरिंग तक का सफर तय करने वाले पंकज केसरी की कहानी एक ऐसे कलाकार की है जिसने अपनी प्रतिभा के दम पर विभिन्न भाषाओं की फिल्म इंडस्ट्री में अपना स्थान बनाया है।
जन्म और शुरुआती जीवन:
पंकज केसरी का जन्म 9 सितंबर 1994 को बिहार के अर्राह, पटना में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता सुदामा प्रसाद केसरी एक सरकारी कर्मचारी थे, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, और माँ एक गृहिणी हैं। उनका एक बड़ा भाई भी है। बचपन से ही पंकज को अभिनय का शौक था, लेकिन उन्होंने पढ़ाई पर ध्यान दिया और मुंबई के एमिथाबाई कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। शुरुआत में उनका सपना चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) बनने का था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
करियर की शुरुआत: थिएटर से टीवी तक
कॉलेज के दिनों में ही पंकज ने एक म्यूजिक चैनल के लिए ऑडिशन दिया और वीजे बन गए। यहीं से उनके मनोरंजन की दुनिया में कदम रखने की शुरुआत हुई। इसके बाद उन्होंने पटना और मुंबई में प्रथ्वी थिएटर ग्रुप के साथ काम किया और दो साल तक थिएटर में अपने हुनर को निखारा।
भोजपुरी फिल्मों का सफर:
2005 में पंकज को पहली बार भोजपुरी फिल्म "माई के बितुवा" में कैमियो रोल मिला, जहाँ उन्होंने साधना सिंह के साथ काम किया। हालाँकि, शुरुआत में वे भोजपुरी फिल्मों में काम करने के इच्छुक नहीं थे, लेकिन 2007 में "बकलोल दुल्हा" में लीड रोल ने उन्हें भोजपुरी इंडस्ट्री का स्टार बना दिया। इसके बाद उन्होंने 40 से अधिक भोजपुरी फिल्मों में मुख्य भूमिकाएँ निभाईं, जैसे "परिवार" (2009), "गोला बारूद" (2015), और "जोरू का गुलाम" (2017)।
भोजपुरी फिल्मों में पंकज केसरी की सफलता का कारण उनकी वह प्रामाणिकता है जो वे अपने किरदारों में लाते हैं। स्थानीय भाषा और संस्कृति की गहरी समझ उन्हें उन किरदारों को जीवंत बनाने में मदद करती है जो आम लोगों के जीवन से जुड़े होते हैं। उनकी फिल्में न केवल मनोरंजन प्रदान करती हैं बल्कि सामाजिक संदेशों को भी प्रभावशाली तरीके से पहुंचाती हैं। भोजपुरी सिनेमा में उनके योगदान ने इस इंडस्ट्री को एक नई दिशा प्रदान की है और युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना है।
साउथ इंडस्ट्री में ब्रेकथ्रू:
2013 में पंकज ने तेलुगू फिल्म "कालिचरन" के साथ साउथ इंडस्ट्री में डेब्यू किया, जहाँ उन्होंने पशुपति के नकारात्मक किरदार को जीवंत किया। यह फिल्म उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई और उन्हें तेलुगू फिल्मों में विलेन के रोल्स मिलने लगे। इसके बाद उन्होंने 17 से ज्यादा तेलुगू और तमिल फिल्मों में काम किया, जैसे "मोसगल्लकु मोसगाडु", "भम भोलेनाथ", और "व्हेयर इज द वेंकटलक्ष्मी" (2019)। 2024 में रिलीज हुई फिल्म "मिस्टर बच्चन" में उन्होंने शम्भा शिवा के खलनायकी रोल से दर्शकों को प्रभावित किया। "शिवम", "व्हेयर इज विद्याबालन", "अराकू रोड लो", "रणरंगम", "सिटी मार", "गनला गोंडा गणेश", "ड्राइवर रामदू", और "पोर कुदरै" जैसी फिल्में शामिल हैं। इन फिल्मों में उनके विविधतापूर्ण अभिनय ने दर्शकों और समीक्षकों दोनों का ध्यान आकर्षित किया है।
बॉलीवुड और वेब सीरीज में कदम:
2018 में पंकज ने हिंदी फिल्म "काशी इन सर्च ऑफ गंगा" से बॉलीवुड में एंट्री की। 2020 में उन्होंने वेब सीरीज "शक्ति" में भी अभिनय किया, जिससे उनकी पहुँच ओटीटी प्लेटफॉर्म तक बढ़ी।
कलात्मक विकास और अभिनय शैली
पंकज केसरी की अभिनय शैली में एक विशेष प्राकृतिकता है जो उन्हें अन्य कलाकारों से अलग बनाती है। रंगमंच से शुरू होकर टेलीविजन और फिर फिल्मों तक का उनका सफर उनकी कलात्मक परिपक्वता को दर्शाता है। विभिन्न भाषाओं की फिल्मों में काम करने का उनका अनुभव उन्हें एक बहुमुखी कलाकार बनाता है जो किसी भी प्रकार के किरदार को प्रभावशाली तरीके से निभा सकता है।
उनकी अभिनय में सबसे खास बात यह है कि वे हर भाषा और संस्कृति के किरदारों को उसी की भावना के साथ जीते हैं। भोजपुरी फिल्मों में वे एक देसी किरदार की सरलता और भोलेपन को दिखाते हैं, वहीं तेलुगु फिल्मों में नकारात्मक भूमिकाओं में वे एक अलग ही तीव्रता और गहराई लाते हैं। यह बहुआयामी प्रतिभा उन्हें एक complete एक्टर बनाती है जो विभिन्न प्रकार के दर्शकों के साथ तालमेल बिठा सकता है।
पर्सनल लाइफ और रुचियाँ:
पंकज केसरी अविवाहित हैं और वर्तमान में मुंबई में रहते हैं। उन्हें नॉन-वेज खाना पसंद है, खासकर दाल-चावल और आलू की भुजिया। शौक के तौर पर वे कविताएँ पढ़ना, फिल्में देखना और यात्रा करना पसंद करते हैं। उनके आदर्श अमिताभ बच्चन और रवि किशन हैं, और वे भाजपा के समर्थक हैं।
पुरस्कार और उपलब्धियाँ:
2012 में बेस्ट एक्सीलेंट अवॉर्ड।
2020 में अटल नेशनल अवॉर्ड।
विलेन के रोल्स को लेकर विचार:
पंकज मानते हैं कि फिल्मों में खलनायक का होना नायक की ताकत को उजागर करता है: "राम का अस्तित्व रावण के बिना अधूरा है"। वे नकारात्मक भूमिकाओं को चुनौतीपूर्ण मानते हैं और उन्हें पसंद भी करते हैं।
आज तक का सफर:
आज पंकज केसरी न सिर्फ भोजपुरी, बल्कि तेलुगू, तमिल और हिंदी सिनेमा में अपनी छाप छोड़ चुके हैं। उनकी मेहनत और लग्न ने उन्हें एक बहुमुखी अभिनेता के रूप में स्थापित किया है। सोशल मीडिया से दूर रहने वाले पंकज अपने काम के जरिए ही लोगों के दिलों में राज करते हैं।
वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाएं
आज पंकज केसरी भारतीय सिनेमा में एक स्थापित नाम हैं जो निरंतर नई परियोजनाओं में काम कर रहे हैं। उनकी बढ़ती लोकप्रियता और विभिन्न भाषाओं की फिल्मों में उनकी मांग यह दर्शाती है कि वे अभी भी अपने करियर के चरम पर हैं। भविष्य में उनसे और भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है, खासकर जब वे लगातार अपनी कलात्मक सीमाओं को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।
उनकी सफलता की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है जो कला के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं। रंगमंच से शुरू होकर टेलीविजन और फिर फिल्मों तक का उनका सफर यह दिखाता है कि निरंतर मेहनत और प्रतिभा के दम पर कैसे सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा जा सकता है। भारतीय सिनेमा में उनका योगदान आने वाले समय में भी याद रखा जाएगा।
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