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Bihar Elections 2025: Pawan Singh's wife Jyoti Singh's nomination for Karakat Assembly seat - Win-Loss Equations | Latest Bihar Polls News

काराकाट विधानसभा का महासंग्राम: ज्योति सिंह की एंट्री, पवन सिंह का 'शांत' दाँव और बदलती क्षेत्रीय राजनीति

राजनीति में एंट्री का अप्रत्याशित ट्विस्ट

बिहार की राजनीति हमेशा से ही सनसनीखेज मोड़ों के लिए जानी जाती है, लेकिन 2025 विधानसभा चुनाव में भोजपुरी सिनेमा के 'पावरस्टार' पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह का काराकाट सीट से निर्दलीय उतरना एक नया अध्याय जोड़ रहा है। 20 अक्टूबर 2025 को नामांकन दाखिल करते ही ज्योति सिंह सुर्खियों में छा गईं। यह न केवल उनके वैवाहिक विवाद को फिर से उजागर कर रहा है, बल्कि बिहार की ग्रामीण राजनीति में महिलाओं की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर रहा है। ज्योति, जो मूल रूप से बिहार की हैं और पवन सिंह से शादी के बाद चर्चा में आईं, अब विकास और सामाजिक न्याय के एजेंडे पर वोट मांग रही हैं। लेकिन सवाल यह है: क्या यह कदम पवन सिंह की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास है, या ज्योति की अपनी महत्वाकांक्षा? आइए, इसकी गहराई में उतरें।

पवन सिंह ने क्यों नहीं लड़ा चुनाव? वैवाहिक विवाद और राजनीतिक रणनीति

पवन सिंह, जो भोजपुरी फिल्मों के अलावा राजनीति में भी सक्रिय हैं, ने 2024 लोकसभा चुनाव में काराकाट से BJP के खिलाफ कड़ा मुकाबला लड़ा था। जिसमे CPI(ML) लिबरेशन के राजा राम सिंह विजयी हुए, उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी से दूसरे स्थान पर रहे, पवन सिंह तीसरे स्थान पर आए​, लेकिन उनकी लोकप्रियता बरकरार रही।

हालिया हार का असर: लोकसभा में मिली हार के बाद पवन की छवि पर सवाल उठे। BJP ने नई रणनीति अपनाई, जहां स्थानीय नेताओं को प्राथमिकता दी गई।

वैवाहिक कलह: पवन और ज्योति के बीच तलाक की अफवाहें 2024 से चल रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ज्योति ने पवन पर पारिवारिक उपेक्षा का आरोप लगाया है। कुछ स्रोतों का दावा है कि पवन ने ज्योति के कारण चुनाव से इनकार कर दिया, ताकि पारिवारिक विवाद राजनीतिक मुद्दा न बने। हालांकि, पवन ने सार्वजनिक रूप से ज्योति को 'समर्थन' का संकेत दिया है, लेकिन खुद मैदान में नहीं उतरे।
रणनीतिक दूरी: पवन की फोकस अब राष्ट्रीय स्तर पर BJP से जुड़ाव पर है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम NDA की सीट बंटवारे की रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जहां काराकाट को BJP के पुराने दांव पर दांव लगाया गया।

यह स्थिति बिहार की राजनीति में 'फैमिली पॉलिटिक्स' का नया उदाहरण पेश कर रही है, जहां पति की छाया में पत्नी आगे बढ़ रही हैं—लेकिन विवाद के साथ।

ज्योति सिंह ने काराकाट क्यों चुना? स्थानीय जुड़ाव और पवन की विरासत

काराकाट, रोहतास जिले का एक सामान्य वर्ग की विधानसभा सीट, विकास और जातिगत समीकरणों के लिए जाना जाता है। ज्योति का इस सीट पर दांव लगाना रणनीतिक लगता है:

पवन सिंह का बेस: 2024 लोकसभा में पवन ने यहां 1,49,000 से अधिक वोट हासिल किए। उनकी फैन फॉलोइंग—खासकर युवाओं और भोजपुरी समुदाय में—ज्योति के लिए वोट बैंक साबित हो सकती है।
स्थानीय मुद्दे: ज्योति ने नामांकन के दौरान बेरोजगारी, सड़क, बिजली और महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया। काराकाट ग्रामीण इलाका है, जहां प्रवासी मजदूरों की संख्या अधिक है—ज्योति खुद प्रवासी पृष्ठभूमि से हैं।
निर्दलीय रणनीति: किसी दल से न जुड़कर ज्योति ने 'स्वतंत्र इमेज' चुनी, जो NDA और महागठबंधन दोनों के वोट काट सकती है। लेकिन विशेषज्ञ चेताते हैं कि संसाधनों की कमी यहां चुनौती बनेगी।

ज्योति का कहना है, "मैं काराकाट की बेटी हूं, यहां के दर्द को समझती हूं।" यह बयान उनकी स्थानीय अपील को मजबूत करता है।

प्रतिद्वंद्वी कौन? त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना

2025 चुनाव में काराकाट पर मुकाबला कड़ा होने का अनुमान है। मुख्य प्रतिद्वंद्वी:

अरुण सिंह (CPI(ML) लिबरेशन, महागठबंधन): 2020 के विजेता, जिन्होंने 82,700 वोटों से जीत हासिल की। दलित और EBC वोटों पर मजबूत पकड़। वे फिर से मैदान में हैं।
राजेश्वर राज (BJP, NDA): 2010 के पूर्व विधायक, जिन्हें 2020 में हार का सामना करना पड़ा। ऊपरी जातियों (भूमिहार, राजपूत) का समर्थन।
अन्य: JD(U) से संभावित उम्मीदवार, और कुछ निर्दलीय। ज्योति का एंट्री वोट स्प्लिट कर सकता है, खासकर NDA के पक्ष में।

ज्योति सिंह का पकड़: प्रारंभिक उत्साह, लेकिन चुनौतियां बरकरार

प्रचार की शुरुआत (21 अक्टूबर से) में ज्योति को अच्छा रिस्पॉन्स मिला। रोहतास में रोड शो में हजारों लोग शामिल हुए, और सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे हैं। स्थानीय मीडिया के अनुसार, युवा और महिलाएं उनका मुख्य समर्थन आधार हैं। हालांकि:

सकारात्मक: पवन के फैंस का क्रॉसओवर वोट संभव।
नकारात्मक: निर्दलीय होने से फंडिंग और बूथ मैनेजमेंट की कमी। प्रतिद्वंद्वी दलों की मशीनरी मजबूत।
वर्तमान आकलन: अभी 'मध्यम' पकड़, लेकिन अगर प्रचार तेज रहा तो सरप्राइज पैकेज बन सकती हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं, "ज्योति का चेहरा नया है, लेकिन पारिवारिक विवाद से नुकसान पहुंचा सकता है।"

पिछले तीन विधानसभा चुनावों के नतीजे: जातिगत समीकरणों का खेल

काराकाट सीट पर चुनाव हमेशा जाति और गठबंधनों पर निर्भर रहा है। आइए, 2010-2020 के नतीजों पर नजर डालें:

वर्षविजेतादलवोटहार का अंतरटर्नआउट (%)मुख्य टिप्पणी
2010राजेश्वर राजJD(U)/NDA~70,000 (अनुमानित)5,000+~50ऊपरी जातियों का दबदबा; NDA की लहर।
2015संजय कुमार सिंहRJD/महागठबंधन59,720 (39%)12,11951.89यादव-EBC गठजोड़; BJP दूसरे नंबर पर।
2020अरुण सिंहCPI(ML)/महागठबंधन82,700 (48%)18,18952.22दलित उभार; COVID के बावजूद वामपंथी मजबूत।

ट्रेंड: सीट महागठबंधन की ओर झुकी हुई है, लेकिन NDA 2010 में हावी था। वोट प्रतिशत में वृद्धि विकास और जाति एकीकरण से हुई।
जातिगत प्रभाव: 2020 में दलित वोट (20%) ने CPI(ML) को फायदा दिया, जबकि 2015 में यादव (8-10%) RJD के पक्ष में गए।

कुल मतदाता (2025 विधानसभा चुनाव के अनुसार)

काराकाट विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 3,29,269 है।

पुरुष मतदाता: 1,74,069
महिला मतदाता: 1,55,180
तृतीय लिंग मतदाता: 20

जातीय समीकरण

काराकाट विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण बहुत महत्वपूर्ण है और यह मुख्य रूप से कोइरी (कुशवाहा) और यादव मतदाताओं के प्रभुत्व वाली सीट मानी जाती है।

प्रमुख जाति समूहचुनावी महत्व
कोइरी (कुशवाहा)यह सीट कोइरी बहुल क्षेत्र है। सभी प्रमुख दल इस जाति से उम्मीदवार उतारते रहे हैं, और इस समुदाय का वोट निर्णायक होता है। (उदा: JDU के महाबली सिंह और CPI(ML) के अरुण सिंह दोनों इसी समुदाय से हैं)।
यादवयह भी एक बड़ा और निर्णायक वोट बैंक है।
सवर्ण (मुख्यतः राजपूत और भूमिहार)सवर्ण वोट, खासकर राजपूत, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और यह वोट हाल के चुनावों में समीकरणों को प्रभावित करता रहा है। (उदा: 2024 लोकसभा चुनाव में पवन सिंह का प्रभाव)।
दलित/अति पिछड़ा वर्ग (EBC)इन वर्गों के मतदाता भी महत्वपूर्ण संख्या में हैं और चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं।
इस सीट पर वामपंथी (CPI-ML L) का भी एक मजबूत गढ़ माना जाता है, जो परंपरागत रूप से गरीब और वंचित वर्गों के वोट को संगठित करता है।

पिछले 3 विधानसभा चुनावों का स्टेटस

काराकाट विधानसभा सीट पर पिछले तीन चुनावों (2010, 2015, 2020) के परिणाम इस प्रकार रहे हैं:

वर्षविजेता उम्मीदवारविजयी पार्टीवोट (प्रतिशत)उपविजेता उम्मीदवारउपविजेता पार्टीअंतर (वोट)
2020अरुण सिंहCPI(ML)L (महागठबंधन)82,700 (48.19%)राजेश्वर राजBJP (NDA)18,189
2015संजय यादवRJD (महागठबंधन)59,720 (39.00%)राजेश्वर राजBJP (NDA)12,119
2010राजेश्वर राजJDU (NDA)47,601 (37.59%)अरुण सिंहCPI(ML)L4,203

मुख्य अवलोकन:

वामपंथी गढ़: CPI(ML)L के अरुण सिंह 2020 में विजयी रहे, जो यह दर्शाता है कि यह सीट वामपंथी विचारधारा का एक मजबूत केंद्र है।

गठबंधन का महत्व: 2015 में RJD के संजय यादव ने और 2020 में CPI(ML)L के अरुण सिंह ने क्रमशः अपने गठबंधन (महागठबंधन) के समर्थन से जीत हासिल की। 2010 में JDU के राजेश्वर राज ने NDA के घटक के रूप में जीत दर्ज की थी।

कड़ा मुकाबला: यह सीट हमेशा कड़े मुकाबले वाली रही है, जहां जीत का अंतर अक्सर कम रहा है (2010 में 4,203 वोट)।

राजेश्वर राज का प्रदर्शन: भाजपा के राजेश्वर राज लगातार 2015 और 2020 में उपविजेता रहे थे, जबकि 2010 में वे JDU के टिकट पर विजेता थे।



Written by - Sagar

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2025-10-25 17:59:08

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