
Bhojpuri Calendar, Bihar Calendar, Purvanchal Calendar
बिहार की राजधानी पटना में भोजपुरी कैलेंडर का उद्घाटन: भारतीय संस्कृति का उत्सव
5 अप्रैल को बिहार की राजधानी पटना के राजभवन में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भोजपुरी कैलेंडर का विमोचन किया। इस अवसर पर बिहार के कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व और भोजपुरी संस्कृति के प्रेमी उपस्थित थे।
कार्यक्रम की झलकियां

राजभवन में आयोजित विमोचन समारोह में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भोजपुरी कैलेंडर का विमोचन भारतीय संस्कृति का उत्सव है। उन्होंने कहा कि भोजपुरी भाषा और संस्कृति हमारी समृद्ध विरासत का हिस्सा है और इसका संरक्षण अत्यंत आवश्यक है।
विमोचन के दौरान भोजपुरिया संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए, जिसमें पारंपरिक भोजपुरी गीत और नृत्य प्रस्तुत किए गए। यह आयोजन भोजपुरी भाषा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
कैलेंडर की विशेषताएं

भोजपुरिया कैलेंडर की खास बात यह है कि इसमें भोजपुरी क्षेत्र के प्रमुख त्योहारों, पर्वों और महत्वपूर्ण दिनों को सूचीबद्ध किया गया है। कैलेंडर में भोजपुरी संस्कृति से जुड़े कई चित्र और विवरण भी शामिल किए गए हैं, जो इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं।
कैलेंडर में छठ पूजा, दीपावली, होली जैसे प्रमुख त्योहारों के अलावा भोजपुरी क्षेत्र के विशिष्ट पर्वों को भी शामिल किया गया है। यह कैलेंडर न केवल तिथियों का ज्ञान कराता है, बल्कि भोजपुरी संस्कृति और परंपराओं के बारे में जानकारी भी प्रदान करता है।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
कार्यक्रम में बिहार के कई प्रमुख राजनीतिक और सामाजिक हस्तियों ने भाग लिया। भोजपुरी साहित्य और संस्कृति से जुड़े कई विद्वान भी इस अवसर पर उपस्थित थे। इसके अलावा, भोजपुरी फिल्म उद्योग के कुछ प्रतिनिधियों ने भी कार्यक्रम में शिरकत की।

इस अवसर पर कैलेंडर के निर्माता एवं विश्व रिकॉर्ड होल्डर चित्रकार संजीव सिन्हा, समाजसेवी धीरज कुशवाहा, संभावना आवासीय उच्च विद्यालय, आरा के निदेशक डॉ. कुमार द्विजेन्द्र, प्राचार्या डॉ. अर्चना कुमारी, तथा कला, साहित्य और भोजपुरी भाषा के अनेक सशक्त प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
भोजपुरी भाषा और संस्कृति का महत्व
भोजपुरी भारत की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है और बिहार, उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से, झारखंड के कुछ हिस्सों और नेपाल के तराई क्षेत्र में बोली जाती है। दुनिया के कई देशों जैसे मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम और त्रिनिदाद और टोबैगो में भी भोजपुरी बोलने वाले लोग बड़ी संख्या में रहते हैं।
भोजपुरी संस्कृति अपने लोक गीतों, नृत्यों और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। भोजपुरी क्षेत्र के लोग अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करते हैं और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत रहते हैं।
निष्कर्ष
भोजपुरिया कैलेंडर का विमोचन भोजपुरी भाषा और संस्कृति के संरक्षण और प्रचार की दिशा में एक सराहनीय कदम है। इस तरह के प्रयासों से न केवल स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा मिलता है, बल्कि युवा पीढ़ी को भी अपनी भाषा और परंपराओं से जुड़ने का अवसर मिलता है। आशा की जाती है कि भविष्य में भी इस तरह के प्रयास जारी रहेंगे और भोजपुरी संस्कृति अपनी समृद्धि के साथ आगे बढ़ती रहेगी।
Please login to add a comment.
No comments yet.