Baap Bada Na Bhaiya Sabse Bada Rupaiya Movie Review 2025
बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपईया: पैसे की दुनिया में रिश्तों की कहानी
"जब रुपईया बोले तो बाप भी झुके, भैया भी झुके... और परिवार की बुनियाद हिल जाए!"
भोजपुरी सिनेमा का दर्द और दर्दा कभी खत्म नहीं होता। और SSP Films & Entertainment की नई पेशकश "बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपईया" का ट्रेलर देखकर तो यही लगता है कि यह फिल्म रिलीज़ होने के बाद ट्रेंड में जा सकती है। Chanda कैसेट्स के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर रिलीज़ हुआ यह ट्रेलर पहले ही दिन लाखों व्यूज़ के साथ वायरल हो चुका है।
कहानी का सार: पैसा या परिवार?
ट्रेलर की शुरुआत होती है एक ऐसे परिवार की कहानी से जहां आनंद देव मिश्रा (मुख्य किरदार) एक सीधा-सादा, ईमानदार आदमी है जो अपने पिता और भाइयों के साथ खुशहाल जिंदगी बिता रहा है। लेकिन जैसे ही संजू सोलंकी (दूसरा भाई) को पता चलता है कि गांव में खज़ाना छिपा है, वहां से शुरू होता है "रुपईया" का खेल।
पंचलाइन: "बाप का आशीर्वाद, भैया का प्यार... लेकिन जब रुपईया बोले, तो सब बेकार!"
ट्रेलर में दिखाया गया है कि कैसे पैसे की लालच में भाई भाई का दुश्मन बन जाता है, बाप अपने बेटों से अलग हो जाता है, और परिवार टूटने की कगार पर पहुंच जाता है। अविनाश साही का नेगेटिव किरदार तो सीधे दिल में घर कर जाता है - उनकी आंखों में वह हवस है जो आपको झकझोर देती है।
स्टारकास्ट: हर चेहरे की एक अपनी कहानी
आनंद देव मिश्रा - दिल का सच्चा
ट्रेलर में उनकी एक्टिंग देखकर लगता है कि यह उनके करियर का सबसे बेहतरीन किरदार है। वह उस आम आदमी की तरह हैं जो पैसे से ज़्यादा रिश्तों को महत्व देता है। उनका डायलॉग, "पैसा आएगा, जाएगा... लेकिन भाई तो एक बार मिलता है" - सीधे दिल को छूता है।
संजू सोलंकी - लालच का प्रतीक
बतौर दूसरे भाई, संजू ने लालची और क्रूर इंसान का किरदार निभाया है। उनका ट्रांसफॉर्मेशन एक भोले भाई से पैसे का प्यासा दुश्मन बनने का सफर, ट्रेलर में काफी धांसू लगा है।
अविनाश साही - विलेन की परिभाषा
इन्होंने शायद डॉ. सलील कुमार के साथ मिलकर एक ऐसा खलनायक बनाया है जो सिर्फ पैसे के लिए किसी को भी कुचल सकता है। उनका डायलॉग, "इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं... जिनके पास पैसा है, और जो बनना चाहते हैं" !
नविता पांडेय और सोनी बीसी - महिला शक्ति
ट्रेलर में दोनों अभिनेत्रियों के किरदार काफी मजबूत नज़र आते हैं। नविता पांडेय आनंद देव मिश्रा की पत्नी के रूप में संघर्ष में उनका साथ देती हैं, तो वहीं सोनी बीसी पैसे के खेल में एक अहम मोड़ लाती हैं।
मनी शंकर प्रसाद और डॉ. सलील कुमार - सपोर्टिंग कास्ट का कमाल
दोनों ने ही अपने-अपने किरदारों में जान डाल दी है। खासकर डॉ. सलील कुमार का लुक और डायलॉग डिलीवरी, उन्हें एक अलग ही लीग में खड़ा करती है।
टेक्निकल एक्सपर्ट: कैसे बनी है फिल्म?
निर्देशन: मनी शंकर प्रसाद और गोपाल पाठक
दो निर्देशकों की जोड़ी ने इस फिल्म को एक "फैमिली ड्रामा" से ज़्यादा एक "सोशल थ्रिलर" का रूप दिया है। ट्रेलर में हर सीन में जुझारू है। गांव से शहर का ट्रांज़िशन, पैसे के लिए होने वाली लड़ाइयां, और भाईचारे में आई दरार... सब कुछ इतने सधे हुए तरीके से दिखाया गया है कि आपको लगेगा कि यह सिर्फ फिल्म नहीं, हमारे आस पड़ोस की ही कहानी है।
सिनेमाटोग्राफी: जयराम थापा और ललित महाराज
ट्रेलर में गांव के लोकेशन क्रिस्प रियल लगते हैं। खासकर वह सीन जहां पूरा परिवार एक साथ खाना खा रहा है, और फिर वही लोकेशन बंटवारे के बाद खाली पड़ी है... कैमरा वर्क ने भावनाओं को कैप्चर किया है।
म्यूज़िक और लिरिक्स: एस कुमार
"रुपईया रुपईया, तू ही तो रब है मेरा" - यह गाना ट्रेलर में कान में घर कर जाता है। एस कुमार ने जिस तरह से भोजपुरी फोल्क को मॉडर्न बीट्स के साथ मिक्स किया है, वह कमाल है।
एडिटिंग: बिपिन और गोविंद थापा
ट्रेलर सिर्फ़ 2 मिनट 30 सेकंड है, लेकिन इतनी सारी चीज़ें दिखा दी गई हैं कि आपको पूरी कहानी समझ आ जाती है बिना स्पॉइल हुए। एडिटिंग में तेज़ी है, जो यंग जनरेशन को खींचेगी।
दार्शनिक शुरुआत:
"पहले हमारे पास खेत थे, घर था, परिवार था... फिर हमारे पास पैसा आया, और हम खो गए!" - यह लाइन ट्रेलर के शुरुआती 10 सेकंड में आती है और आपको फिल्म की थीम समझा देती है।
एक्शन सीक्वेंस:
ट्रेलर में जबरदस्त धमाकेदार एक्शन सीन हैं जहां भाई भाई के खून के प्यासे हो जाते हैं। हाथापाई, बंदूकें, और गांव की गलियों में चेज़ सीन... भोजपुरी सिनेमा के फैन्स को पसंद आएंगे।
इमोशनल कोर:
"भैया, मुझे माफ़ कर दो... मैं तुम्हारा भाई हूं!" - आनंद देव मिश्रा का यह डायलॉग और उसके बाद संजू सोलंकी की चुप्पी... किसी को भी भावुक कर देगी।
क्लाइमैक्स हिंट:
ट्रेलर के आखिरी 10 सेकंड में दिखाया गया है कि जब पूरा परिवार टूट जाता है, तो एक बच्चा (शायद आनंद का बेटा) सबके सामने रुपईये के नोट जलाता है और कहता है, "ले लो तुम्हारा रुपईया... और लौटा दो मेरा परिवार!"
सोशल मैसेज: क्या कहना चाहती है फिल्म?
यह फिल्म सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, एक मजबूत सोशल मैसेज भी देती है:
पैसा जरूरी है, लेकिन परिवार से बढ़कर नहीं
लालच इंसान को अंधा बना देता है
रिश्तों की कीमत, रुपईये से नहीं आंकी जाती
पॉजिटिव पॉइंट्स:
* दमदार स्टारकास्ट - हर कलाकार ने अपने किरदार में जान डाली है
* खतरनाक कहानी - अनिल विश्वकर्मा की कहानी रियल और रिलेटेबल है
* मनोरंजन - ड्रामा, एक्शन, इमोशन, कॉमेडी... सब कुछ है
* सामाजिक कहानी - आज के समय से जुड़ा मुद्दा
* लेटेस्ट लुक - डायरेक्शन, म्यूज़िक, सिनेमाटोग्राफी... सब टॉप क्लास
नेगेटिव पॉइंट्स (ट्रेलर के आधार पर):
* ट्रेलर में कुछ सीन थोड़े रिपिटिटिव लगते हैं (परिवार के झगड़े)
* एक्शन को थोड़ा ओवर द टॉप दिखाया गया है (लेकिन भोजपुरी ऑडियंस को यही पसंद है!)
हमारी रेटिंग (ट्रेलर के आधार पर): ⭐⭐⭐⭐ (4/5)
कब और कहां देखें?
फिल्म अभी ट्रेलर स्टेज पर है, और जल्द ही सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी। ट्रेलर देखने के लिए तुरंत यहाँ क्लिक करे
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