हल्का और गर्म भोजन लें

चैत्र में मौसम बदलता है, इसलिए अष्टांग हृदयम के अनुसार हल्का, गर्म और सुपाच्य भोजन (जैसे खिचड़ी, मूंग दाल) खाएँ। तले-भुने और ठंडे खाने से बचें, नहीं तो पाचन बिगड़ेगा।

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नियमित व्यायाम करें

सुबह योग, प्राणायाम या टहलने की आदत डालें। इससे शरीर में जमा कफ (बलगम) कम होगा और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।

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पानी गुनगुना पिएँ

ठंडा पानी पीने से बचें। अष्टांग हृदयम बताता है कि गुनगुना पानी पाचन ठीक रखता है और शरीर के टॉक्सिन्स बाहर निकालता है।

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नींबू-शहद का सेवन

सुबह गर्म पानी में नींबू और शहद मिलाकर पिएँ। यह लिवर को साफ करके वजन कम करने में मदद करता है।

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दिन में न सोएँ

इस मौसम में दिन की नींद कफ बढ़ाती है। अष्टांग हृदयम के अनुसार, रात को जल्दी सोएँ और सुबह जल्दी उठें।

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मसालेदार चाय पिएँ

अदरक, काली मिर्च और तुलसी वाली चाय पिएँ। यह सर्दी-खांसी से बचाएगी और इम्यूनिटी बढ़ाएगी।

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तेल मालिश करें

सरसों या नारियल तेल से शरीर की मालिश करें। इससे त्वचा स्वस्थ रहेगी और वात दोष संतुलित होगा।

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मौसमी फल खाएँ

आम, खीरा, तरबूज जैसे फलों का सेवन करें। इनमें पानी की मात्रा ज्यादा होती है, जो गर्मी में डिहाइड्रेशन रोकती है।

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नस्य क्रिया करें

सुबह नाक में 2 बूँद तिल का तेल डालें (नस्य क्रिया)। अष्टांग हृदयम के अनुसार, इससे सर्दी-एलर्जी दूर होती है।

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मानसिक शांति के लिए ध्यान

चैत्र में मन शांत रखें। रोज 10 मिनट ध्यान करें। इससे तनाव कम होगा और पित्त दोष नहीं बढ़ेगा।

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